Mradhubhashi
Search
Close this search box.

सुप्रीम कोर्ट : एमपी हाईकोर्ट के आदेश का समर्थन, ‘न्यायाधीश को सोशल मीडिया पर नहीं कर सकते बदनाम…’

सुप्रीम कोर्ट : एमपी हाईकोर्ट के आदेश का समर्थन, 'न्यायाधीश को सोशल मीडिया पर नहीं कर सकते बदनाम...'

हाईकोर्ट के एक देश का समर्थन करते हुए कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग कर न्यायिक अधिकारियों को बदनाम नहीं किया जा सकता।

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक देश का समर्थन करते हुए कहा कि सोशल मीडिया का उपयोग कर न्यायिक अधिकारियों को बदनाम नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट ने एक जिला न्यायाधीश के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के लिए एक व्यक्ति को 10 दिन कैद की सजा सुनाई थी। इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की अवकाश पीठ ने कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते। यह दूसरों के लिए सीख होना चाहिए। आपको मर्जी का आदेश नहीं मिलता है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप न्यायिक अधिकारी को बदनाम करें। न्यायपालिका की स्वतंत्रता का अर्थ केवल कार्यपालिका से ही स्वतंत्रता नहीं है।

जस्टिस त्रिवेदी ने याचिकाकर्ता से कहा कि किसी अधिकारी पर आरोप लगाने से पहले दो बार सोचना चाहिए था। आप न्यायिक अधिकारी की छवि को हुए। नुकसान के बारे में सोचें। याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से सजा में नरमी बरतने की मांग की। पीठ ने कहा कि हम यहां दया के लिए नहीं, सही फैसला करने के लिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट : एमपी हाईकोर्ट के आदेश का समर्थन, 'न्यायाधीश को सोशल मीडिया पर नहीं कर सकते बदनाम...'
सुप्रीम कोर्ट : एमपी हाईकोर्ट के आदेश का समर्थन,

‘कूलिंग ऑफ’ अवधि की मांग

सेवानिवृत्ति के बाद न्यायाधीशों के दूसरे दायित्वों को स्वीकार करने की बढ़ती आलोचना के बीच सुप्रीम कोर्ट में बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने | जनहित याचिका दायर की है। इसमें सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के किसी भी सेवानिवृत्त न्यायाधीश के राजनीतिक नियुक्ति स्वीकार करने से पहले दो साल की ‘कूलिंग ऑफ’ अवधि की मांग की गई है।

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट