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हाईकोर्ट में याचिका के बाद भी शुरू कर दिया बायपास का सर्वे

हाईकोर्ट में याचिका के बाद भी शुरू कर दिया बायपास का सर्वे

सर्वेयर को कोर्ट केस के बारे में पता ही नहीं, जीपीएस से लगा रहे निशान

सारंगपुर- क्षेत्र में एक तरफ जहां बायपास निर्माण की नई प्रक्रिया के विरुद्ध हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है तो वहीं दूसरी तरफ नई प्रक्रिया के तहत बनने वाले बायपास का सर्वे कार्य जारी है। प्रशासन की प्रक्रिया के विरुद्ध एवं शासन को धन एवं जनता के समय के दुरुपयोग के मामले की जानकारी के चलते याचिकाकर्ता ने 23 फरवरी को जनहित याचिका हाईकोर्ट इंदौर में दायर कर रखी है।

इस पर हाईकोर्ट ने तमाम दस्तावेज के साथ प्रशासन से जवाब भी तलब किया है।
राष्ट्रीय राजमार्ग 752 सी पर फोर लेन निर्माण होना है, जिसके अंतर्गत साल 2017 में आष्टा, शुजालपुर और पचोर में बायपास बनना थे। आष्टा और शुजालपुर में काम पुरा हो चुका लेकिन पचोर में साल 2021 में 2.6 किलोमीटर बायपास के लिए जिस स्थान का सर्वें हुआ और 3 ए का प्रकाशन हुआ उस स्थान की जगह अप्रेैल 2022 में प्रशासन के द्वारा स्थान परिवर्तन कर शहर से 5 किलोमीटर दूर 6.8 किलोमीटर का सर्वे कर 5 गांव में भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू की गई थी।

कंपनी को हाल ही में मिला वर्क आर्डर
शनिवार को मेपिंग के बाद रविवार को सारण कंस्ट्रक्शन कंपनी जोधपुर के सर्वेयर इंजीनियर अशोक कुमार सहित काम कर रहे तूफानसिंह और राकेश यादव ने बताया की कंपनी को हाल ही में टेंडर और वर्कआर्डर मिला है। जिसके अंतर्गत वो निशान लगा रहे हैं। इसमें 6.8 किलोमीटर बायपास के लिए चिन्हित खुजनेर मार्ग से सरेडी, मिट्ठूनपुर, रलायती, पनवाड़ी और पचोर में निशान लगाने के बाद मिट्टी का काम शुरू किया जाएगा।

याचिका के बाद मिला मुआवजा
मनमानी के खेल का मामला उजागर होने और हाईकोर्ट के याचिका दायर होने के बाद भी 2.6 किलोमीटर के स्थान पर 6.8 किलोमीटर पर पिछले दिनों किए गए सर्वे अनुसार 11 हेक्टेयर की जगह अब 37 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की जा रही है। जिसके लिए 23 फरवरी को याचिका दायर होने के बाद पटवारियों ने प्रभावित किसानों के खाता नंबर लेकर एसडीएम कार्यालय भेज दिए है और कई किसानों के खातों में मार्च में ही मुआवजा भी पहुंच गया है।
जनता को होगा सीधा नुकसान

वर्ष 2022 में सारंगपुर प्रशासन ने साल 2018 के आदेश का हवाला देकर पुन: नई प्रक्रिया शुरू कर दी। जिसमें पचोर एवं बिलापुरा दो गांव कि 11 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण होना थी। उक्त 11 हेक्टेयर भूमि में भी महज 7 हेक्टेयर ही निजी भूमि अधिग्रहण होना है। जबकि नई प्रक्रिया में सरेड़ी, मिट्ठनपुर, रलायती, पनवाड़ी और पचोर 5 गांव शामिल किए गए है। जिसमें अब 23 हेक्टेयर से अधिक निजी भूमि अधिग्रहण की जाना है।

इन्हें जारी किया गया था नोटिस
हाईकोर्ट अधिवक्ता मनीष विजयवर्गीय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टीस न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति प्रकाशचंद्र गुप्ता की खंडपीठ ने 23 फरवरी को सभी पहलुओं को देखने के बाद यूनियन आॅफ इंडिया प्रमुख सचिव राष्ट्रीय राजमार्ग नई दिल्ली, नेशनल हाइवे अथोरिटी पदाधिकारी नई दिल्ली, प्रमुख सचिव पीडबल्यूडी मप्र, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर पीडबल्यूडी भोपाल के साथ-साथ कलेक्टर राजगढ़ और एसडीएम सारंगपुर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
2.6 के बजाय 6.8 किमी बना तो जनता को नुकसान

पुरानी प्रक्रिया में बायपास जीरापुर मार्ग से पोलिटेक्निक कॉलेज पचोर के पीछे होकर बिलापुरा रेस्टहाउस होकर रामपुरिया हनुमान मंदिर के समीप से शुजालपुर मार्ग से जुड़ना है। जिसमें महज 2.6 किलोमीटर फोरलेन सड़क के साथ रेल्वे ओवरब्रीज एवं नेवज नदी का पुल बनना था। यह मार्ग पचोर शहर के समीप होने से हमेशा के लिए शहर के रिंग रोड़ के काम लिया जा सकता है।

जबकि नए बायपास में आदर्श वेयरहाउस के समीप होकर सरेड़ी माता मंदिर के यह से होते हुए मिट्ठनपुर, पनवाड़ी, रलायती और पचोर इन पांच गांव की भूमि अधिग्रहण के साथ ही हमेशा के लिए 2.6 किलोमीटर के स्थान पर 6.8 किलोमीटर दुरी तय करना पड़ेगी। जिससें राहगीरों को धन, ईंधन और समय की हानि झेलनी पड़ेगी। अब देखना है कि 13 अप्रैल को प्रशासन किया जवाब प्रस्तुत करता है और उस जवाब के बाद कोर्ट का क्या रुख रहता है क्योंकि कोर्ट ही को तय करना है कि क्या सही है और क्या गलत। बायपास पुरानी प्रक्रिया से बनना है या फिर नई प्रक्रिया के तहत बनना सही है?

13 अप्रैल को होना है दूसरी सुनवाई
23 फरवरी 2023 को जनहित याचिका क्रमांक 4664 हाईकोर्ट इंदौर में दायर कर की गई थी। इस याचिका के बाद हाईकोर्ट ने तमाम दस्तावेज के साथ जवाब तलब किया है। आगामी 13 अप्रेैल को दूसरी सुनवाई होना है। याचिका दायर होने के बाद प्रशासन के द्वारा बायपास निर्माण प्रक्रिया चलाना गलत हैै। अगर 2.6 किलोमीटर के स्थान पर 6.8 किलोमीटर का बायपास निर्माण होता है तो जनता की परेशानी बढ़ेगी और अधिक दूरी तय करना पड़ेगी।
मनीष विजयवर्गीय, अधिवक्ता, हाईकोर्ट, इंदौर

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