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शिवराज कैबिनेट बैठक: ट्रांसजेंडर अब ओबीसी, सरकारी नौकरी में मिलेगा 14 प्रतिशत आरक्षण

शिवराज कैबिनेट बैठक ट्रांसजेंडर अब ओबीसी, सरकारी नौकरी में मिलेगा 14 प्रतिशत आरक्षण

भोपाल। सीएम शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में हुई कैबिनेट बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए। कैबिनेट ने मप्र के ट्रांसजेंडर को पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की स्वीकृति दी। इन्हें मप्र पिछड़ा वर्ग की सूची के क्रमांक 93 के बाद क्रमांक 94 में शामिल किए जाने की मंजूरी दी गई। यह वर्ग प्रदेश सरकार की नौकरियों में 14 प्रतिशत आरक्षण का लाभ भी ले पाएगा। सीएम शिवराज ने कहा कि देश के सबसे पिछड़े और गरीब के साथ ही अधिकार विहीन इस कम्यूनिटी को ओबीसी का दर्जा दिया जाएगा।
दरअसल हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस दिशा में कई बड़े फैसले दिए थे जिसके बाद मप्र सरकार ने यह कदम उठाया है। इस फैसले के बाद मप्र संभवत: तीसरा राज्य बन गया है, जहां ट्रांसजेंडर को सरकारी नौकरी में आरक्षण दिया जाएगा। इससे पहले कर्नाटक और बिहार ऐसा कर चुके हैं।
मप्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कैबिनेट बैठक में हुए फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कुछ दिन पहले एक फैसला लिया था जो क्रमांक 93 के बाद क्रमांक 94 में ट्रांसजेंडर को भी शामिल करने को लेकर था।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिए थे निर्देश
कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि ट्रांसजेंडर समुदाय को शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए वह राज्य सरकारों को निर्देशित करे। साथ ही शीर्ष अदालत ने ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर के रूप में मान्यता दी थी। कोर्ट ने कहा था कि ट्रांसजेंडर्स पिछड़ा समुदाय है और उसे आरक्षण दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल 14,16,2 का हवाला देते हुए कहा था कि ट्रांसजेंडर देश के नागरिक हैं।

मप्र में अभी ओबीसी आरक्षण की स्थिति
-मप्र में अभी 64 से ज्यादा जातियां ओबीसी में हैं। इन्हें 14 फीसदी का आरक्षण का संवैधानिक अधिकार है।
-8 मार्च 2019 को मप्र सरकार ने ओबीसी आरक्षण 27 फीसदी कर दिया।
-ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण पर हाईकोर्ट ने 20 मार्च को रोक लगा दी थी। फिर मप्र सरकार ने विधानसभा में संकल्प पारित कर आरक्षण 27 फीसदी कर दिया।
-30 अक्टूबर को कोर्ट ने इस पर भी स्टे लगा दिया। इस मामले में सुनवाई हो गई है, लेकिन फैसला नहीं आया है।

  • यदि कोर्ट के फैसले में ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी ही रहता है तो ट्रांसजेंडर को इसी में से आरक्षण मिलेगा।

दो माह पहले मिल चुका है बराबरी का हक
मप्र सरकार ने ट्रांसजेंडर को भले ही अब ओबीसी आरक्षण देने का फैसला किया है, लेकिन दो माह पहले ही राज्य सरकार उन्हें सीधी भर्ती में सामान्य पुरुष और महिला के बराबर का लाभ दे चुकी है। सामान्य प्रशासन विभाग ने तब अपने आदेश में कहा था कि सरकारी भर्तियों में ट्रांसजेंडर को शामिल कर बराबरी का मौका दिया जाएगा। इसके बाद यह व्यवस्था की गई है कि सरकारी दस्तावेजों में पुरुष और महिला के साथ ट्रांसजेंडर का भी कॉलम हो।

मप्र में कितने ट्रांसजेंडर वोटर्स?
2011 की जनगणना के अनुसार मप्र में करीब 1400 ट्रांसजेंडर वोटर्स हैं। वहीं 30 हजार ट्रांसजेंडर होने का अनुमान है। देश में इनकी कुल संख्या 4 लाख 87 हजार 203 है।
शिकायत के लिए अधिकारी नियुक्त
मप्र शासन ने उभयलिंगी अधिकारी और कर्मचारियों की समस्याओं के निवारण के लिए सहायक संचालक, सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण के लिए बलवान शाह को शिकायत अधिकारी नियुक्त किया है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।

किन्नर गुरु सुरैया नायक ने यह कहा
मप्र सरकार ने भले ही ट्रांसजेंडर को लेकर बड़ा फैसला लिया है, लेकिन भोपाल मंगलवारा की किन्नर गुरु सुरैया नायक का कहना है कि बड़ी-बड़ी डिग्री लेकर जो घूम रहे हैं, पहले सरकार उन्हें नौकरी दे। हम नौकरी करेंगे तो दुआएं कौन देगा। उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि समाज में हमें मजाक का विषय बनाया जाता है, लेकिन सरकार यदि सच में कुछ करना चाहती है, तो पहले समाज में जागरूकता लाए। दफ्तर में सामान्य पुरुष या महिलाओं के बीच हम नौकरी करेंगे तो क्या वे हमारा मजाक नहीं बनाएंगे?

कैबिनेट ने ये फैसले भी लिए
-मध्यप्रदेश में मोटे अनाजों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य मिलेट मिशन योजना लागू की जाएगी। योजना का क्रियान्वयन किसान-कल्याण और कृषि विकास सभी जिलों में करेगा। मिलेट को बढ़ावा देने के लिए जिला और राज्य स्तर पर मेले, कार्यशाला, सेमिनार, फूड फेस्टिवल, रोड-शो किए जाएंगे।

-प्रदेश में अब तक का सबसे बड़ा निवेश होने जा रहा है। इस निवेश को लेकर भारत पेट्रोलियम कॉपोर्रेशन ने सरकार से रियायतें मांगी थी जिस पर कैबिनेट ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सरकार ने तय किया है कि भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन को सरकार जीएसटी में 15 साल के लिए 15 हजार करोड़ रुपए की रियायत देगी। इसके साथ ही 500 करोड़ रुपए का बिना ब्याज का कर्ज भी सरकार उपलब्ध कराएगी।

-मंडी शुल्क प्रतिपूर्ति की राशि का वहन मंडी बोर्ड के बजट प्रावधान के कृषि उपज निर्यात प्रोत्साहन मद से किया जाएगा।

-उज्जैन में डुंगरिया सूक्ष्म सिंचाई परियोजना की प्रशासकीय स्वीकृति मिली। इसकी लागत राशि 104 करोड़ 74 लाख रुपए है, इससे 3 हजार हेक्टेयर से 8 ग्रामों को सिंचाई सुविधा मिलेगी।

  • टिकटोली डिस्ट्रीब्यूटरी (हरसी उच्च स्तरीय मुख्य नहर से पोषित) परियोजना को स्वीकृति दी है। इसकी लागत 44 करोड़ 90 लाख रुपए है, जबकि इससे 27 गांवों की 3 हजार 700 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी।
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