Mradhubhashi
Search
Close this search box.

यूरोपियन साउदर्न ऑब्ज़र्वेटरी वेरी लार्ज टेलिस्कोप से वैज्ञानिकों ने इस ग्रह को खोजा

अटाकामा (चिली)। हमारे सूरज के नजदीक एक ऐसा तारा है, जिसके चारों तरफ जीवन वाला ग्रह चक्कर लगा रहा है। वैज्ञानिकों ने हाल ही में इस ग्रह को खोजा है। असल में यह ग्रह धरती के वजन का एक चौथाई वजन रखता है। अपने तारे के नजदीक चक्कर लगा रहा है। यानी सूरज और बुध के बीच की दूरी का सिर्फ दसवां हिस्सा। फिलहाल तो यह एक अलग दुनिया है। क्योंकि इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। लेकिन जानकारियां बढ़ती जाएंगी तो आगे की प्लानिंग भी होगी।

चिली में स्थित यूरोपियन साउदर्न ऑब्ज़र्वेटरी वेरी लार्ज टेलिस्कोप से वैज्ञानिकों ने इस ग्रह को तब देखा जब उन्हें प्रॉक्सिमा सेंटॉरी तारे के चारों तरफ मौजूद गुरुत्वाकर्षण शक्ति में एक बुलबुला सा दिखाई दिया। उन्हें दिखाई दिया कि यह बुलबुला हर पांच दिन में अपने तारे का एक चक्कर लगा रहा है। जब ज्यादा बारीकी से जांच की गई तो पता चला कि बुलबुला कुछ और नहीं बल्कि एक ग्रह है।

पुर्तगाल स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स एंड स्पेस साइसेस के रिसर्चर और इस ग्रह को खोजने वाली टीम के सदस्य जोआओ फारिया ने कहा कि हमारे पड़ोसी तारे प्रॉक्सिमा सेंटॉरी के चारों तरफ बेहद रुचिकर दुनिया है। जो लगातार नई स्टडीज और रिसर्च की मांग कर रहे हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि यह ग्रह प्रॉक्सिमा सेंटॉरी से सिर्फ 40 लाख किलोमीटर की दूरी पर चक्कर लगा रहा है।

जोआओ फारिया ने कहा कि अगर यह अपने तारे से इतना नजदीक है तो यहां पर जीवन भी संभव है। यहां पर रहने लायक वातावरण हो सकता है। यह भी हो सकता है कि यहां का तापमान इस रेंज का हो कि पानी आसानी से मिल सके। इस नई खोज की डिटेल रिपोर्ट हाल ही में जर्नल एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स में छपी है। इस नए ग्रह को प्रॉक्सिमा-डी नाम दिया गया है। प्रॉक्सिमा-डी अपने सौर मंडल का तीसरा ग्रह है। सबसे चमकदार भी। यह प्रॉक्सिमा-बी के पास ही है। प्रॉक्सिमा-बी वजन के मामले में धरती के बराबर है। लेकिन यह अपने तारे का एक चक्कर हर 11 दिन में लगाता है। वहीं, प्रॉक्सिमा-सी अपने तारे के चारों तरफ पांच दिन में एक चक्कर लगाता है।

पहली बार 2020 में मिली इस ग्रह की जानकारी

प्रॉक्सिमा-डी के बारे में पहली बार साल 2020 में जानकारी मिली थी। उस समय वैज्ञानिक प्रॉक्सिमा-बी के बारे में स्टडी कर रहे थे। उन्हें तभी प्रॉक्सिमा-बी और प्रॉक्सिमा सेंटॉरी के चारों तरफ मौजूद गुरुत्वाकर्षण शक्ति में बदलाव दिख रहा था। उन्हें दिखाई पड़ा कि एक बुलबुले जैसी आकृति हर पांच दिन में एक बार ग्रह के चारों तरफ घूमती है। इसकी आगे की जांच करने के लिए वैज्ञानिकों यूरोप स्पेस आग्रेनाइजेशन के टेलिस्कोप की मदद ली। इस टेलिस्कोप ने यह तय कर दिया कि प्रॉक्सिमा सेंटॉरी तारे के चारों तरफ एक और छोटा ग्रह चक्कर लगा रहा है। जोआओ ने बताया कि यह बेहद कम वजन का ग्रह है। जैसे हमारी धरती का चांद। वह अपने तारे पास चक्कर लगाने वाला तीसरा ग्रह है। हो सकता है कि यह हमारी धरती की तरह हो। फिलहाल उसके बारे में और स्टडी की जरूरत है। जिसपर साइंटिस्ट लगे हैं।

ये भी पढ़ें...
क्रिकेट लाइव स्कोर
स्टॉक मार्केट