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चावल को कहा जाता है देवतान्न, इसके प्रयोग से होती है यह मनोकामनाएं पूर्ण

Dharam: देव आराधना में चावल यानी अक्षत का बड़ा महत्व है। देवी-देवताओं को चावल समर्पित करने की परंपरा सनातन संस्कृति में वैदिक काल से चली आ रही है। शास्त्रोक्त मान्यता है कि देवताओं को चावल चढ़ाने से सुख-समृद्धि और आरोग्य के साथ मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।

चावल से पूजा होती है पूर्ण

मान्यता है कि देव पूजा में यदि किसी शुभ वस्तु की चूक हो जाए तो अक्षत के चढ़ावे से वह कमी पूर्ण हो जाती है और पूजा का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है। चावल देवपूजा में बहुत उपयोगी अन्न है और इसका उपयोग लगभग सभी देवी-देवताओं की आराधना में होता है। देवपूजा में चावल चढ़ाते समय कुछ विशेष सावधानियां रखना जरूरी है। पूजा में उपयोग वाले चावल के दाने खंडित नहीं होना चाहिए। टूटे चावल से अशुभ फल की प्राप्ति होती है। प्रतिदिन भगवान को चावल चढ़ाने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

अक्षत चढ़ाने से मिलती है शिवकृपा

शिवलिंग पर चावल चढ़ाने से शिवकृपा के साथ धन-वैभव और सम्मान की प्राप्ति होती है। घर में यदि आपके आर्थिक समस्या बनी रहती है तो घर कें मंदिर में चावल के ढ़ेर पर मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा स्थापित करने से घर में कभी अन्न और धन की कमी नहीं रहती है। पूजा का चौक गेहूं के आटे के साथ चावल का आटा मिलाकर बनाने से देवकृपा प्राप्त होती है। चावल देवताओं का प्रिय अन्न है इसलिए इसको देवतान्न भी कहा जाता है। पूजन के समय अक्षत इस मंत्र के साथ भगवान को समर्पित करना चाहिए.

।अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकमाक्ता: सुशोभिता:, मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥

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