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अमृत मंथन में निकला था पारिजात, श्रीकृष्ण इंद्र को परास्त कर स्वर्ग से लाए थे धरती पर

Dharma: धर्मशास्त्रों में पारिजात या हरसिंगार के वृक्ष का बहुत महत्व है। इस वृक्ष के फूल, पत्ते शुभ फलदायी और आरोग्यवर्धक होते हैं और इसका घर के आंगन में होना समृद्धिकारक माना गया है। इसके फूल सुगंधित, मनमोहक और आकर्षक होते हैं।

समुद्र मंथन से निकला था परिजात

शास्त्रोक्त मान्यता है कि पारिजात वृक्ष की उत्पत्ति देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से हुई थी। अमृत मंथन से निकले इस अमृत तुल्य वृक्ष का रोपण देवराज इंद्र ने अपनी नंदन वाटिका में किया था। हरिवंशपुराण में इस वृक्ष और इसके फूलों के संबंध में विस्तार से बतलाया गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार पारिजात के वृक्ष का स्वर्ग से लाकर धरती पर रोपण किया गया था। नरकासुर के वध के पश्चात एक बार भगवान श्रीकृष्ण स्वर्ग गए थे और वहां पर इन्द्र ने उन्हें पारिजात के पुष्प भेंट किए थे। वह पुष्प श्रीकृष्ण ने पारिजात के पुष्प देवी रुक्मिणी को दे दिए। देवी रुक्मिणी इन पुष्पों को पाकर चिरयौवन को प्राप्त कर चुकी थी।

इंद्र को परास्त कर धरती पर लाए थे श्रीकृष्ण

वहीं श्रीकृष्ण की पटरानी देवी सत्यभामा को देवलोक से देवमाता अदिति ने चिरयौवन का आशीर्वाद दिया था। तभी नारदजी ने सत्यभामा को बताया कि पारिजात पुष्प के प्रभाव से देवी रुक्मिणी भी चिरयौवन हो गई हैं। यह जान सत्यभामा क्रोधित हो गईं और श्रीकृष्ण से पारिजात वृक्ष लेने की जिद करने लगी। श्रीकृष्ण ने इंद्र से पारिजात का वृक्ष देने का निवेदन किया, लेकिन इंद्र ने उनका अनुरोध ठुकरा दिया। जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने गरुड़ पर विराजित होकर स्वर्ग पर हमला कर दिया। इस युद्ध में सत्यभामा और श्रीकृष्ण ने साथ मिलकर युद्ध किया और सभी देवताओं को परास्त कर दिया। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र के हाथों को पकड़कर उसका वज्र स्तंभित कर दिया।

सिर्फ रात्रि में खिलते हैं फूल

श्रीकृष्ण से पराजित होकर इंद्र ने श्राप दिया कि पारिजात के फूल केवल रात्रि में खिलेंगे और सुबह बिखर जाएंगे। श्रीकृष्ण ने पटरानी सत्यभामा को सबक सिखलाने के लिए ऐसी युक्ति लगाई कि पौधा सत्यभामा के आंगन में लगाया, किंतु उसके फूल रुकमणी के आंगन में गिरते थे. इसी तरह आज तक इस वृक्ष के पुष्प उससे दूर गिरते हैं। स्वर्गलोक में केवल उवर्शी नामक अप्सरा को इस देववृक्ष को छूने का अधिकार प्राप्त था।

समृद्धिदायक और आरोग्यवर्धक है

पारिजात का वृक्ष जिस घर में या उसके आसपास होता है उसके घर के सभी तरह के वास्तुदोष दूर हो जाते हैं।व इसके फूलों का उपयोग खासतौर पर लक्ष्मी पूजन के लिए किया जाता है। पूजा में पेड़ से गिरे फूलों का ही उपयोग किया जाता है। पारिजात आरोग्यवर्धक है। इसके छूने मात्र से थकान मिट जाती है और तनाव से मुक्ति मिलती है। यह वृक्ष जिस घर में होता है वहां पर शांति और सुख-समृद्धि का वास होता है।

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