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अडानी पोर्ट पर नहीं उतरेगा पाक अफगान और ईरान का माल

नई दिल्ली। गुजरात के मुन्द्रा पोर्ट पर हेरोइन की बड़ी खेप पकड़े जाने के अब अडानी समूह ने बड़ा फैसला किया है। समूह की तरफ से सोमवार को जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान से इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट होने वाले कार्गो को अडानी ग्रुप हैंडल नहीं करेगा। कंपनी का यह फैसला 15 नवंबर से लागू होगा। कंपनी ने कहा है कि अपने सभी टर्मिनल पर 15 नवंबर से अडानी पोर्ट्स और सेज ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले कंटेनर को हैंडल नहीं करेगा।

3000 किलो हेरोइन हुई थी बरामद

गुजरात के कच्छ के मुंद्रा पोर्ट पर हेरोइन की बड़ी खेप पकड़ी गई थी। अनुमान के मुताबिक राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) की ओर से पकड़े गए ड्रग्स की कीमत करीब 21 हजार करोड़ रुपए है। पोर्ट पर दो कंटेनर्स में लगभग 3000 किलो हेरोइन बरामद की गई थी। इसके साथ-साथ दो लोगों को गिरफ्तार भी किया गया था। सरकारी एजेंसी ने अपने बयान में कहा था कि हेरोइन को टैल्क ले जाने दो कंटेनरों में रखा गया था।

तब डीआरआई ने बताया था कि एक कंटेनर में लगभग 2,000 किलोग्राम (4,409 पाउंड) हेरोइन और दूसरे में लगभग 1,000 किलोग्राम की खेप अफगानिस्तान से आई थी और इसे ईरान के एक बंदरगाह से गुजरात भेज दिया गया था। इस पूरे मामले को नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए को सौंप दिया गया था। पिछले सप्ताह एजेंसी ने कोयम्बटूर, चेन्नई और विजयवाड़ा में इस सम्बन्ध में छापा मारा था। इस सर्च आपरेशन के दौरान एनआईए ने कई डॉक्यूमेंट को भी सीज किया है। इस पूरे मसले पर चार अफगानी, 1 उजबेकिस्तान और 3 भारतीयों की गिरफ्तारी हुई है।

अफगान पर भारत की नजर

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के लगभग दो महीने बाद भी भारत किसी तरह की हड़बड़ी नहीं करना चाहता। भारत ने पहले ही यह ऐलान कर दिया था कि वह अफगानिस्तान की स्थिति पर ‘वेट एंड वॉच’ की पॉलिसी अपना रहा है और अब एक बार फिर से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया है कि भारत अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहा है। उसने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक प्रस्ताव में उल्लेखित अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अपेक्षाओं को तालिबान शासन द्वारा पूरा किए जाने के महत्व को भी रेखांकित किया।

विदेश मंत्री ने किर्गिस्तान के विदेश मंत्री रुस्लान कजाकबायेव के साथ एक सकारात्मक बैठक के बाद संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान यह टिप्पणी की। जयशंकर ने कहा कि कजाकबायेव के साथ उनकी बैठक में कुछ देर तक अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर और क्षेत्र की शांति एवं सुरक्षा पर इसके प्रभाव पर बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि हम अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रहे हैं। हम सभी इसे लेकर चिंतित हैं। अफगानिस्तान में किसी भी अस्थिरता का प्रभाव क्षेत्र पर भी पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की अफगानिस्तान में मौजूदा शासन से अपेक्षाएं हैं, जिनके बारे में यूएनएससीआर 2593 में काफी विस्तार से बताया गया है।

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