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नेत्रहीनता को हरा कर केवल एक लाठी के सहारे पूरी की नर्मदा परिक्रमा, देखें नीलेश की कहानी

सनावद / जब हृदय में श्रद्धा की सरिता प्रवाहित हो रही हो तो नर्मदा भक्तों को कोई भी बाधा पुण्यसलिला मां नर्मदा की परिक्रमा से नहीं रोक सकती और नर्मदा भक्त निश्चिंत होकर घरों से निकल पड़ते हैं।

इंदौर के 35 वर्षीय नेत्रहीन युवा नीलेश धनगर ऐसी ही नर्मदा भक्ति की अनूठी मिसाल हैं। 72 दिवस पूर्व नीलेश ने अपनी नर्मदा परिक्रमा पदयात्रा का श्रीगणेश सीहोर जिले के नर्मदा तट स्थित ग्राम बुधनी से किया। नीलेश अकेले ही नर्मदा की परिक्रमा पर निकले हैं। एकमात्र लाठी ही उनकी सहयात्री है,जिसके सहारे नीलेश नर्मदा के पावन तटों पर निर्भय होकर आगे बढ़ रहे हैं।

बुधवार को नीलेश का सनावद नगरागमन हुआ। युवा समाजसेवी कमल बिर्ला,राजेश पाल,नरेंद्र राठौर और राकेश गीते ने नीलेश की भावभीनी आगवानी की और उनके भोजन तथा रात्रि विश्राम की उदारतापूर्वक व्यवस्था की। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त नीलेश ने कम्प्यूटर में भी डिप्लोमा हासिल किया है और वर्तमान में सरकारी नौकरी हेतु विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में भी जुटे हैं। नीलेश मोबाइल चलाने भी निपुण हैं और वाट्सअप ग्रुपों के माध्यम से अपने मित्रों व परिजनों को नर्मदा परिक्रमा यात्रा के समाचार प्रेषित करते रहते हैं।

नर्मदा के तट ऋषि मुनियों के तप से धन्य हैं

नीलेश ने बताया कि बचपन से ही नर्मदाजी के महात्म्य और नर्मदा परिक्रमा के किस्से सुनते आ रहे हैं और यही उनकी नर्मदा परिक्रमा आरंभ करने की प्रेरणा भी है। नीलेश ने पदयात्रा के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि नर्मदा के तटों पर अलौकिक शांति व्याप्त है और जल अत्यंत निर्मल है। नर्मदा के तट ऋषि मुनियों के तप से धन्य हैं। नीलेश ने बताया कि परिक्रमा के दौरान नर्मदा तटवासियों का बड़ा सहयोग मिल रहा है और सभी उनके भोजन एवं रात्रि विश्राम का सहर्ष प्रबंध कर रहे हैं। यहां तक कि गाय और श्वान भी लाठी की आहट सुनकर मेरे पथ से हट जाते हैं। नीलेश ने बताया कि नर्मदा माई हर कदम पर उनका मार्गदर्शन व रक्षा कर रही हैं और पदयात्रा के पिछले 72 दिवस अत्यंत आंनद के साथ निर्विघ्न व्यतीत हुए हैं।

नर्मदा माई उनकी परिक्रमा पूर्ण कराएंगी

नीलेश प्रतिदिन लगभग 24 किमी की पदयात्रा पूर्ण कर लेते हैं। नीलेश के अनुसार पतितपावनी मां नर्मदा के प्रति उनके मन में बचपन से ही अगाध श्रद्धा रही है और पदयात्रा के दौरान आभास होता है कि जीवनदायिनी नर्मदा माई साथ-साथ ही हैं। नर्मदा माई के प्रति असीम श्रद्धा ही मेरा एकमात्र संबल है और आगे आने वाले दिनों में भी नर्मदा माई उनकी परिक्रमा पूर्ण कराएंगी। नीलेश ने सनावद नगर में मिले मान-सम्मान और सहयोग के लिए नगरवासियों की मुक्त कंठ सराहना की और मां नर्मदा से सनावद नगरवासियों की सुख,शांति और समृद्धि की कामना की।

सनावद से मृदुभाषी के लिए विपिन जैन

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