Narak Chaturdashi: पांच दिनों तक मनाए जाने वाले दीपोत्सव में दीपावली पर्व के ठीक एक दिन पहले नरक चतुदर्शी मनाई जाती है। इसको छोटी दिवाली, रूप चौदस और काली चतुर्दशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि कार्तिक कृ ष्ण चतुर्दशी के दिन विधि-विधान से पूजा करने से समस्त पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन यमराज के लिए दीपदान की प्रथा है। आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी के दिन किए जाने वाले कुछ खास उपायों के बारे में.
- रूप चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने वाला व्यक्ति नरक का भागी नहीं होता है। वहीं सूयोदय के पश्चात स्नान करने वाले व्यक्ति के समस्त पुण्यकार्य समाप्त हो जाते हैं।
- नरक चतुर्दशी के दिन धन की प्राप्ति के लिए रक्त चंदन, गुलाब के फू ल और रोली के पैकेट की पूजा कर इनको लाल कपड़ें में बांधकर तिजोरी में रख दें।
- तिल्ली के तेल में देवी लक्ष्मी और जल में देवी गंगा का वास होता है। इस लिए इस दिन तिल्ली का तेल शरीर पर लगाकर गंगा स्नान की परंपरा है। इससे पहले शरीर पर उबटन जरूर लगाएं। स्नान के जल में हल्दी और कुमकुम डालकर स्नान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
- इस दिन स्नान करने के बाद विष्णु मंदिर या कृष्ण मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करने से समस्त पापों का नाश होता है।
- इस दिन स्नान के पश्चात यमराज का तर्पण करके तीन अंजलि जल अर्पित करना चाहिए।
- नरक चतुर्दशी के दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर 4 बत्तियों का दीपक जलाकर धर्मराज का ध्यान करते हुए पूर्व दिशा की ओर मुख करके दीपदान करना चाहिए। इससे उस घर में अकाल मृत्यु नहीं होती है।
- सनत कुमार संहिता के अनुसार इस दिन यमराज के नाम का दीपदान करने से पितरों को नरक से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग का मार्ग प्रशस्त होता है।
- नरक चतुर्दशी के दिन भगवान वामन और राजा बलि का स्मरण करने से घर में देवी लक्ष्मी का स्थायी रूप से वास होता है।
- नरक चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में तेल लगाकर अपामार्ग की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है।
- इस दिन विधि-विधान से स्नान कर संवरने से वर्ष भर सौंदर्य बना रहता है।
- चतुर्दशी की रात को तिल के तेल के 14 दीपक जलाने से से पापों से मुक्ति मिलती है।