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MP Election: सिंधिया को डराने, कांग्रेस का केपी फैक्टर

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MP Election: बीते 30 सालों से लगातार विधायक रहे केपी सिंह “कक्काजू” (K.P Singh) को पिछोर की जगह शिवपुरी से टिकिट देकर कांग्रेस ने सबको चौंका दिया है।

MP Election: मृदुल जैन। मप्र विधानसभा चुनाव में सभी को अंदाजा था की गुजरात फार्मूला अपनाकर भाजपा टिकटों मे कुछ बड़ा उलटफेर कर सकती है और जब शिवपुरी की वर्तमान विधायक यशोधरा राजे सिंधिया (Yashodhara Raje Scindia) ने अचानक से स्वस्थ संबंधी समस्या का हवाला देकर विधानसभा लड़ने से मना किया तभी से शिवपुरी (Shivpuri) की विधानसभा सीट चर्चाओ की हॉट सीट बन गई और कयास लगाए जाने लगे कि क्या शिवपुरी से भाजपा किसी बड़े नेता को चुनाव लडाना चाहती है।

इस संभावना को और बल तब मिल जब भाजपा ने अपने दिग्गज मंत्री और राष्ट्रीय नेताओ को विधानसभा चुनाव मे उतारा, राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे थे कि यशोधरा राजे सिंधिया (Yashodhara Raje Scindia) द्वारा चुनाव लड़ने से इंकार करने के बाद भाजपा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya scindia) को यहाँ से अपना प्रत्याशी बना सकती है। इसी संभावना को ध्यान में रखकर कांग्रेस (Congress) ने ग्वालियर राजघराने के तिलिस्म की काट के लिए केपी फैक्टर (KP Factor) रूपी एक नए तिलिस्म की रचना की है।

MP Election: नवरात्रि के पहले दिन कांग्रेस द्वारा जारी की गई 144 प्रत्याशियों की सूची में सबसे ज्यादा चर्चित शिवपुरी विधानसभा रही। ग्वालियर राजघराने के प्रभाव वाली इस सीट पर कांग्रेस ने पिछोर विधानसभा से लगातार 6 बार विधायक रहे कांग्रेस के कद्दावर नेता केपी सिंह (K.P Singh) कक्काजू को चुनावी मैदान में उतारा है।

MP Election: राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि भाजपा के कृष्ण अर्थात डॉ केपी सिंह यादव (K.P Singh Yadav) से लोकसभा चुनाव हारने के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya scindia) किसी भी तरह का सीधा चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते। मगर, भाजपा शिवपुरी विधानसभा से सिंधिया को अपना प्रत्याशी बनाने की जुगत में हैं। ऐसे हालातों में कांग्रेस ने अपने कृष्ण “केपी सिंह कक्काजू (K.P Singh) के जरिए सिंधिया पर मनोवैज्ञानिक दबाब बनाने का प्रयास किया है। सिंधिया, अगर इस केपी फैक्टर से डरकर शिवपुरी का चुनावी मैदान छोड़ते हैं, तो इस सीट पर कांग्रेस की राह आसान हो जाएगी।

MP Election: विश्लेषक बताते हैं कि केपी सिंह कक्काजू को क्षेत्र का कद्दावर नेता माना जाता है। ऐसे हालातों में सिंधिया और भाजपा सीधे मुकाबले का जोखिम लेने से बचना चाहेंगे, इसका सीधा फायदा कांग्रेस को होगा।

अब तक रहा ग्वालियर राजघराने का दबदबा:-
MP Election: 1951 में शिवपुरी विधानसभा अस्तित्व में आई, सम्भवतः यही पहला और एक मात्र मौका था, जब इस सीट से ग्वालियर राजघराने से जुड़ा व्यक्ति विधायक नहीं बना, उसके बाद से लगातार इस सीट पर ग्वालियर राजघराने से जुड़ा व्यक्ति या समर्थित व्यक्ति ही विधायक बनता आया है।

शिवपुरी में 1951 में पहला चुनाव हुआ, तब भी ग्वालियर राजघराने या उनके पसंदीदा व्यक्ति ही यहां से विधायक चुनते आए हैं।

  • 1951: तुला राम/नरहरि प्रसाद, कांग्रेस
  • उपचुनाव मालोजी, निर्दलीय
  • 1957: तुलाराम कांग्रेस
  • 1962: आनंद स्वरूप कांग्रेस
  • 1967: सुशील बहादुर अष्ठाना जनसंघ
  • 1972: सुशील बहादुर अष्ठाना जनसंघ
  • 1977: महावीर प्रसाद जैन, जनता पार्टी
  • 1980: गणेशराम गौतम, कांग्रेस (I) माधवराव सिंधिया के समर्थक
  • 1985: गणेशराम गौतम, कांग्रेस माधवराव सिंधिया के समर्थक
  • 1990: सुशील बहादुर अस्थाना, निर्दलीय राजमाता विजयाराजे सिंधिया के समर्थक
  • 1993: देवेंद्र कुमार जैन, भारतीय जनता पार्टी यशोधरा राजे सिंधिया के समर्थक
  • 1998: यशोधरा राजे सिंधिया, भारतीय जनता पार्टी
  • 2003: यशोधरा राजे सिंधिया, भारतीय जनता पार्टी
  • 2006: (उप-चुनाव) वीरेंद्र सिंह रघुवंशी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक
  • 2008: माखन लाल राठौर, भारतीय जनता पार्टी यशोधरा राजे सिंधिया से जुड़ाव
  • 2013: यशोधरा राजे सिंधिया, भारतीय जनता पार्टी
  • 2018: यशोधरा राजे सिंधिया, भारतीय जनता पार्टी

कांग्रेस का केपी फैक्टर ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ कारगर रहकर शिवपुरी में ग्वालियर राजघराने के तिलिस्म को तोड़ पाएगा या नही, यह तो आने वाला समय ही बताएगा , लेकिन इस बात से जरूर… इंकार नहीं किया जा सकता है कि केपी फैक्टर के जरिए सिंधिया को घेरने का कांग्रेसी पैंतरा भाजपा के लिए नई चुनौतियां खड़ी करने वाला है।

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