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नाबालिग बनी मां, बच्चे के पिता को 10 साल कैद

खंडवा कोर्ट ने शनिवार सुबह एक अहम फैसला सुनाया। नाबालिग ने संतान को जन्म दिया। इस पर संतान के पिता को कोर्ट ने 10 साल कैद की सजा सुनाई। पीड़ित पक्ष ने रिपोर्ट की और न ही आरोपी के खिलाफ बयान दिए। कोर्ट ने नाबालिग से जन्मी संतान की डीएनए रिपोर्ट को आधार बनाया और आरोपी को सजा दी। मामला जुलाई 2017 का है। आरोपी ने नाबालिग को भगाकर शादी की। जनवरी 2019 में पकड़ाया तो दोनों के पास 6 माह की संतान थी।
न्यायाधीश प्राची पटेल की कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कमेंट्स किया। लिखा- वर्तमान परिवेश में बालकों के प्रति अपराध में निरंतर वृद्धि होती जा रही है। जिन पर नियंत्रण करना आवश्यक है, आरोपी सुरेश द्वारा गंभीर प्रकृति का अपराध कारित किया गया है।

24 जुलाई 2017 को शाम 7 बजे जब बुजुर्ग महिला खाना खाकर घर के बाहर टहल रही थी, तब उसकी 16 वर्षीय पोती मकान के पीछे बर्तन साफ कर रही थी। जब बुजुर्ग महिला ने पोती को देखा तो वह नहीं मिली। फिर पड़ोस में रह रहे उसके बेटे से भतीजी के बारे पूछा। फिर छोटे बेटे के साथ मिलकर उसने अपनी पोती की गांव में तलाश की। पता चला कि गांव का सुरेश पिता थानसिंह भी गायब है। शंका पैदा हुई कि सुरेश भिलाला ही 16 वर्षीय नाबालिग को भगाकर ले गया है। दादी की रिपोर्ट पर थाना छैगांवमाखन पुलिस ने मामला दर्ज किया। 2 साल बाद 16 जनवरी 2019 को पुलिस ने सुरेश के कब्जे से नाबालिग को दस्तयाब किया। मेडिकल टेस्ट कराया, पता चला कि एक संतान भी पैदा हो चुकी है, जिसकी उम्र 6 माह है। संतान का डीएनए आरोपी से मिलान कराया गया, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। न्यायालय ने अभियोजन के द्वारा पेश सबूतों के आधार पर पाया कि नाबालिग के साथ आरोपी ने बलात्कार किया। वह गर्भवती हुई और एक संतान को जन्म दिया गया।

न्यायालय विशेष न्यायाधीश, पॉक्सो एक्ट प्राची पटेल ने आरोपी सुरेश उर्फ सुरपाल पिता रूपसिंह (24) निवासी लिंगी फाटा, थाना पंधाना को धारा 5 (एल) सहपठित धारा 6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 2 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया। अभियोजन की ओर से प्रकरण का संचालन एडीपीओ रूपेश तमोली ने किया।

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