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मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलना लगभग तय, लेकिन टाइगर की मौत के मामले में भी मध्य प्रदेश अव्वल दर्जे पर

मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिलना लगभग तय

मध्य प्रदेश को 2019 में टाइगर स्टेट का दर्जा मिला था। 4 साल के बाद 2022 में लैंडस्केप वाइज टाइगर स्टेट्स रिपोर्ट के मुताबिक देश में 200 टाइगर की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के नक्शे के मुताबिक सबसे ज्यादा टाइगर के निशान मध्य भारत और पूर्वी घाट में मिले हैं।बताया जा रहा है कि यहां पर 128 टाइगर की बढ़ोतरी हुई है।

नक्शे के हिसाब से देखा जाए तो मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा टाइगर देखने को मिले हैं। ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि मध्यप्रदेश को फिर से एक बार टाइगर स्टेट का दर्जा मिलना लगभग तय हो गया है। रिपोर्ट्स की माने तो देशभर में टाइगर की संख्या 3167 पहुंच चुकी है। गौरतलब है कि साल 2018 में मध्यप्रदेश 526 टाइगर के साथ पहले स्थान पर था। वही दूसरे स्थान पर कर्नाटक 524 टाईगर के साथ था।

देश की सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व श्रेणी में आते हैं मध्य प्रदेश के दो टाइगर रिजर्व -मध्यप्रदेश में पन्ना, रातापानी, सतपुड़ा, संजय डूबरी, बांधवगढ़, कान्हा, पेंच टाइगर रिजर्व है। सरकार ने 12 सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व की श्रेणी बनाई है जिसमें सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व की बात करें तो सतपुड़ा टाइगर रिजर्व देश का दूसरा सर्वश्रेष्ठ टाइगर रिजर्व बना है। वही कान्हा टाइगर रिजर्व 5 स्थान पर है। पन्ना, रातापानी, संजय डूबरी, कान्हा और पेज को गुड कैटेगरी में रखा गया है।

टाइगर की मौत के मामले में भी अब्बल है मध्य प्रदेश -सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2022 में मध्यप्रदेश में टाइगर की सबसे ज्यादा मौतें देखने को मिली। यहां पर 34 टाइगर की मौतें हुई। वहीं कर्नाटक में 15 टाइगर की मौतें हुई। हालांकि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की वेबसाइट में मौतों का जिक्र तो है। लेकिन मौत किस वजह से हुई इसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है। वहीं साल 2021 में भी मध्यप्रदेश में 42 टाइगर खोए थे।

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