नई दिल्ली। नेशनल मेडिकल कमिशन डॉक्टरों और आम लोगों के बीच के विश्वास को मजबूत करने के लिए एक खास नीति लाने जा रहा है। इस नीति के अंतर्गत सभी मेडिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी डॉक्टरों को एक खास यूआईडी नंबर देगी। देश के डॉक्टरों को खास डिजिटल कोड दिया जाएगा। इस खास बार कोड की मदद या यूं कहें यूआईडी नंबर से मरीज को उस डॉक्टर के एजुकेशन और दक्षता के बारे सब कुछ पता चल जाएगा।
कई बार ऐसा भी होता है कि डॉक्टर को बीमारी के बारे में पता नहीं होता और वह इलाज करता रहता है। इस नीति को लागू होने के बाद झोलाछाप डॉक्टरों का सफाया हो जाएगा। साथ ही इलाज के नाम पर धोखा नहीं दिया जा सकेगा।
इस खास नंबर से डॉक्टरों की एक अलग पहचान बनेगी। साथ ही उनकी अटेंडेंस, वे काम कैसा करते हैं सहित उनके परफॉर्मेंस पर कमीशन की नजर रहेगी। सिर्फ इतना ही नहीं आॅनलाइन डॉक्टरी सेवा देने वाले डॉक्टर्स के लिए भी यह डिजिटल कोड बेहद जरूरी होगा।

मेडिकल कॉलेज व यूनिवर्सिटी को आदेश जारी:
नेशनल मेडिकल कमिशन की इस नीति के तहत सभी मेडिकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी के डॉक्टरों को एक यूआईडी नंबर देने का आदेश जारी किया गया है। जो डॉक्टर स्टेट मेडिकल काउंसिल से लाइसेंस प्राप्त हैं, उन्हें यह कोड मिलेगा। साथ ही एनएमआर में पंजीकरण और भारत में प्रैक्टीस करने का अधिकार भी प्राप्त होगा। देश में जितने भी डॉक्टर हैं, जिनके पास लाइसेंस है कि वे लोगों का इलाज कर सकते हैं उन सभी का एक कॉमन नैशनल रजिस्टर होगा, जिसे एनएमसी के तहत नैतिकता और चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड (ईएमआरबी) के द्वारा अधिकार प्राप्त होगा।