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इंदौर रहा है भाजपा का गढ़, कद्दावर नेता हैं महापौर पद के दावेदार

इंदौर। नगरीय निकाय मे आरक्षण की प्रक्रिया संपन्न होने के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि इंदौर शहर के लिए नया महापौर सामान्य या पिछड़ा वर्ग से हो सकता है। चुनाव का एलान आगामी कुछ दिनों में होने की संभावना है और जल्द ही शहर को नया निजाम मिल जाएगा, जो शहर के विकास और स्वच्छता के रथ को आगे बढ़ाएगा।

इंदौर रहा है भाजपा का गढ़

आज महापौर पद के लिए आरक्षण प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह स्पष्ट हो चुका है कि इंदौर में सामान्य या पिछड़े वर्ग में से किसी भी वर्ग का पुरुष महापौर बन सकता है। आरक्षण प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद सभी दावेदारों ने आज से ही अपनी दावेदारी तेज कर दी है। इंदौर भाजपा का मजबूत किला माना जाता है इसलिए भारतीय जनता पार्टी की और से टिकट प्राप्त करना ही जंग जीतनेजैसा है। इस वजह से भाजपा से बड़ी संख्या में दावेदार सक्रिय हो चुके हैं।

रमेश मेंदोला है सशक्त भाजपा दावेदार

हाल ही में सांवेर विधानसभा उप चुनाव में बड़ी जीत दिलवाने वाले विधायक रमेश मेंदोला प्रमुख रूप से महापौर पद के सशक्त दावेदार हैं इसके चलते पार्टी और कैलाश विजयवर्गीय की मदद से ही वे टिकट प्राप्त कर सकते हैं। वहीं पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे भी मैदान हैं। उनके अनुभव, पार्टी में समन्वय और वरिष्ठता के चलते एक बार फिर पार्टी उन्हें मौका दे सकती है।

भाजप से कई दावेदार हैं मैदान में

ग्वालियर में विवेक शेजवलकर को भी भाजपा ने दूसरी बार महापौर का टिकट दिया था और उन्होंने जीत भी दर्ज करवाई थी। इसी का उदाहरण देकर श्री मोघे एक बार फिर दावेदार बन सकते हैं। जबकि मधु वर्मा को नगर निगम आईडीए में रहते हुए उनके द्वारा किए गए विकास कार्य को ध्यान में रखते हुए पार्टी एक बार उन्हें महापौर का टिकट थमा सकती है। पहले वे महापौर का चुनाव सिर्फ एक मत से हार चुके हैं। इसके साथ ही गोपी कृष्णा नेमा और सुदर्शन गुप्ता को भी प्रमुख दावेदार माना जा रहा है।

कांग्रेस से जीतू पटवारी संभाल सकते हैं मोर्चा

वहीं कांग्रेस की ओर से चुनिंदा नेता ही महापौर पद के दावेदार हैं इनमें प्रमुख रूप से जीतू पटवारी ,संजय शुक्ला छोटे यादव ,विनय बाकलीवाल के नाम शामिल है। जीतू पटवारी फिलहाल विधायक भी हैं और उनसे बेहतर कांग्रेस के पास महापौर पद के लिए कोई उम्मीदवार नहीं है। वहीं संजय शुक्ला को भी विधायक रहते हुए महापौर का टिकट जा सकता है हलांकि इसकी संभावना काफी कम है। छोटे यादव लंबे समय से विधानसभा टिकट के दावेदारी करते रहे हैं और नगर निगम में 5 बार पार्षद रह चुके हैं उनकी वरिष्ठता के चलते पार्टी उन्हें महापौर का चुनाव लड़ने का मौका दे सकती है। जबकि विनय बाकलीवाल को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की निकटता के चलते महापौर का टिकट मिल सकता है। वह भी नगर निगम में पार्षद रह चुके हैं।

1995 से इंदौर में महापौर

साल — नाम — पार्टी
1995 — मधुकर वर्मा — कांग्रेस
2000 — कैलाश विजयवर्गीय — भाजपा
2005 — डॉ. उमाशशि शर्मा — भाजपा
2009 — कृष्ण मुरारी मोघे — भाजपा
2015 – मालिनी गौड़ — भाजपा

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