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प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगेगी लगाम, कलेक्टर ने दिए सख्ती के निर्देश

इंदौर। कोरोना काल में आर्थिक तंगी झेल रहे पालकों द्वारा प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम कसने के लिए लगातार मांग उठाए जाने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। बुधवार को एक बार फिर जागृत पालक संघ ने इस संबंध में सांसद शंकर लालवानी, कलेक्टर मनीष सिंह व प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी के साथ बैठक कर स्कूलों द्वारा शासन-प्रशासन के आदेश के बावजूद फीस रेग्युलेटरी एक्ट का पालन नहीं करने की मय-प्रमाण शिकायत की। साथ ही स्कूलों द्वारा फीस रेग्युलेटरी एक्ट के अनुसार ट्यूशन का निर्धारण सुनिश्चित करने संबंधित निर्देश जारी करने की मांग की।

ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी की शिकायत

इस पर कलेक्टर सिंह ने प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी को दिए ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी और पूरी फीस को ट्यूशन फीस में जोड़कर लेने से जुड़ी लंबित शिकायतों की जांच कर उन पर कार्रवाई के निर्देश दिए। जागृत पालक संघ के अध्यक्ष एडवोकेट चंचल गुप्ता व सचिव सचिन माहेश्वरी ने बताया कि निजी स्कूलों द्वारा लगातार न्यायालय व शासन के आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है। ट्यूशन फीस में अन्य सभी प्रतिबंधित मदों को जोड़कर फीस ली जा रही है। इसकी शिकायतें भी कलेक्टर व डीईओ के समक्ष प्रस्तुत की गई, लेकिन उनका उचित निराकरण आज तक नहीं हो रहा था। हमने सांसद लालवानी की उपस्थिति में कलेक्टर सिंह से मांग की है कि मप्र निजी स्कूल फीस अधिनियम के प्रावधानों व न्यायालय के आदेश के अनुसार उचित शिक्षण शुल्क का निर्धारण करवाया जाए।

बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित

बैठक में बताया गया कि न्यायालय के स्पष्ट आदेश है कि फीस समय पर जमा नहीं कर पाने के कारण किसी भी बच्चे को ऑनलाइन पढ़ाई या रिजल्ट से वंचित नहीं रख सकते, इसके बावजूद कई स्कूल ऐसा कर रहे हैं। इससे शहर के हजारों बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। वहीं बच्चे के साथ पालक भी अवसाद व मानसिक प्रताडना के शिकार हो रहे हैं।

यह भी दिए गए सुझाव

  • निजी स्कूल मासिक शुल्क लेने के बजाय त्रैमासिक शुल्क ही ले रहे हैं, ऐसे में सभी स्कूलों को आदेशित किया जाए।
  • निजी स्कूलों की शिकायतों के निवारण के लिए एक अलग समिति बने, जिसमें जागृत पालक संघ भी शामिल हो। हेल्पलाइन बनाकर समयसीमा में निवारण किया जाए।
  • फीस के अभाव में बच्चों टीसी नहीं रोके जाने बाबद आदेश जारी किए जाए।
  • तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए पूर्ण सुरक्षा, वैक्सीनेशन व स्कूलों की जिम्मेदारी तय किए बिना स्कूलों का संचालन शुरू नहीं किया जाए।
  • जिले में एक स्थाई जिला शिक्षा अधिकारी की नियुक्ति अतिशीघ्र की जाए।
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