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Hydrogen Bus: आज शुरू होगी देश की पहली हाईड्रोजन बस , इन प्रदेशों में यात्री कर सकेंगे सफर

Hydrogen Bus

India’s first Hydrogen Bus will Run Today

Indias First Hydrogen Bus: ग्रीन मोबिलिटी की दिशा में भारत अहम कदम उठा रहा है। देश की पहली ग्रीन हाईड्रोजन ईंधन सेल बस आज सोमवार को दिल्ली के कर्तव्य पथ पर केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने रवाना करेंगे।

Hydrogen Bus: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुसार, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग कर तैयार ग्रीन हाईड्रोजन, कम कार्बन और आत्मनिर्भर आर्थिक मार्गों में अहम भूमिका निभाने की क्षमता रखता है। यह फ्यूल या औद्योगिक फीडस्टॉक के रूप में सालभर और विभिन्न क्षेत्रों में घरेलू स्तर पर प्रचुर मात्रा में नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का दोहन करने की संभावना है।

Hydrogen Bus: मंत्रालय के मुताबिक ग्रीन हाईड्रोजन में पेट्रोलियम रिफाइनिंग, उर्वरक उत्पादन और इस्पात विनिर्माण आदि उद्योगों में बायो फ्यूल डेरिवेटिव्स फीडस्टॉक को बदल देगा। हाईड्रोजन संचालित फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी और ई-मोबिलिटी के क्षेत्र में अहम घटक के रूप में उभर रहा है। हाईड्रोजन फ्यूल सेल में विद्युत रासायनिक प्रतिक्रिया एनोड पर हाईड्रोजन और कैथोड पर हवा से ऑक्सीजन को पानी में बदलती है। इससे इलेक्ट्रॉनों के रूप में बिजली निकलती है। हाईड्रोजन फ्यूल सेल अन्य गतिशीलता समाधानों की तुलना में उल्लेखनीय एफिशिएंसी दक्षता का दावा करते हैं। बैटरी चालित वाहनों की तुलना में अधिक रेंज और कम फ्यूल जैसे लाभ हैं।

दो बसें शुरू होंगी
Hydrogen Bus: आमतौर पर हाईड्रोजन गैस को जहाज पर सिलेंडरों में 350 बार के दबाव पर स्टोर किया जाता है। इंडियन ऑयल ने दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में प्रमुख मार्गों पर ग्रीन हाईड्रोजन संचालित 15 ईंधन सेल बसों का परिचालन होगा। 25 सितंबर को इंडिया गेट से दो बस रवाना होंगे।

3 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय होगी
Hydrogen Bus: इंडियन ऑयल ने फरीदाबाद में रिसर्च एंड डेवलपमेंट एरिया में एक अत्याधुनिक डिस्ट्रीब्यूशन फैसिलिटी बनाई है, जो सौर पीवी पैनलों का उपयोग करके इलेक्ट्रोलिसिस के जरिए उत्पादित ग्रीन हाईड्रोजन को फ्यूल सेल में भरने में सक्षम है। इन दोनों बसों के लांच होने पर वे टेक्नोलॉजी के प्रदर्शन और ड्यूरेबिलिटी के लांग टर्म मूल्यांकन के हिस्से के रूप में सामूहिक रूप से 3 लाख किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करेंगी।

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