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Hiroshima Tragedy: आसमान से बरसी थी आफत और धरती पर बिछ गई थी लाखों लाशें

Hiroshima Tragedy: दूसरे विश्वयुद्ध में जापान को हराने के लिए अमेरिका ने अपना आखिरी दांव खेला था और आज ही के दिन 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराया था। इस हमले से शहर तबाह हो गया था और हर तरफ लाशों का ढेर लग गया था।

जापान को झुकाने का था इरादा

दूसरे विश्वयुद्ध के खलनायक जर्मनी ने आत्मसमर्पण कर दिया था, लेकिन जापान तबाही मचा रहा था। जापान के मंसूबे नाकाम करने के लिए जुलाई 1945 में अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत संघ के नेता जोसेफ स्टालिन जर्मनी के शहर पोट्सडम में मिले और जापान से निपटने की रणनीति बनाई। 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा के लोग दिन की शुरुआत कर रहे थे, तभी आसमान में हवाई जहाज की गड़गड़ाहट सुनाई दी। उस वक्त हवाई जहाज का यह शोर सामान्य था, लेकिन इरादे कुछ और थे।

लिटिल बॉय था बम का नाम

सुबह के 8 बजे का वक्त था। अमेरिका का एक विमान 3.5 मीटर लंबा, 4 टन वजनी और 20 हजार TNT के बराबर ऊर्जा वाला परमाणु बम लिटिल बॉय लेकर हिरोशिमा के आसमान में पहुंच गया था। एनोला गे नाम के इस विमान को पायलट पॉल टिबेट्स उड़ा रहे थे। पॉल टिबेट्स ने सुबह 8 बजकर 15 मिनट पर विमान से बम गिरा दिया और वह ठीक 43 सेकेंड बाद शीमा क्लीनिक के ऊपर जाकर फट गया।

10 लाख डिग्री से ज्यादा हो गया था तापमान

हिरोशिमा के लोग कुछ समझ पाते इससे पहले मौत ने उनको अपने आगोश में ले लिया। तापमान 10 लाख डिग्री सेल्सियस से भी ऊपर पहुंच गया था। कुछ ही सेकंड्स में 80 हजार लोग काल के गाल में समा गए थे। हिरोशिमा उस वक्त जापान का 7वां सबसे बड़ा शहर था। 3 लाख से भी ज्यादा आबादी वाला ये शहर पूरी तरह से तबाह हो गया था। बम गिराने के बरसों बाद तक लाखों लोग परमाणु बम के रेडिएशन और दूसरी वजह से तड़फ-तड़फ कर मरे थे।

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