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महंगाई को काबू में करने के लिए सरकार ने बनाई अहम रणनीति

नई दिल्ली। त्योहार को लेकर हर तरफ उत्साह है लेकिन बढ़ती महंगाई के कारण लोगों के चेहरे से खुशियां गायब हैं। घर में रोजाना उपयोग होने वाली वस्तुओं के दाम बढ़ने से हर वर्ग परेशानी में है। सरसों का तेल, घी, रिफाइंड सहित रोजमर्रा की चीजों के दाम बढ़ने से घर का बजट बेपटरी हो गया है। मध्यमवर्गीय लोगों की हालत सबसे ज्यादा दयनीय है क्योंकि सीमित आमदनी में भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में त्योहारी खर्च ने इनकी चिताएं और बढ़ा दी हैं।

अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल

ऐसे में केंद्र सरकार ने सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सरकार ने विदेशों से आयात बढ़ाने के साथ ही राज्य सरकारों को खाद्य वस्तुओं की जमाखोरी पर लगाम लगाने का भी निर्देश दिया है। फूड मिनिस्ट्री के सेक्रेटरी सुधांशु पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि मलेशिया में मजदूर संकट और बायो-फ्यूल के लिए खाद्य तेलों के डाइवर्जन के चलते फूड ऑयल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल आया है। इसके बावजूद भारत में इसकी कीमतों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमत ज्यादा होने के बावजूद भारत में फूड ऑयल के दाम कम हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने खाद्य तेलों का आयात बढ़ाने के साथ ही राज्य सरकारों को इसकी जमाखोरी पर सख्ती से अंकुश लगाने का भी निर्देश दिया है। मस्टर्ड ऑयल का प्रोडक्शन 10 लाख मीट्रिक टन बढ़ा है। सरकार को उम्मीद है कि इन कदमों का असर जल्द दिखाई देगा और फूड ऑयल के दाम नीचे आने लगेंगे। इससे त्योहारी सीजन में लोगों को महंगाई से राहत मिलेगी।

तुअर दाल का इंपोर्ट बढ़ाया

फूड सेक्रेट्री ने कहा कि दालों की कीमतें नियंत्रित करने के लिए भी सरकार लगातार कोशिश कर रही है। पिछले साल की तुलना में इस बार तुअर दाल का इंपोर्ट ज्यादा हुआ है। अगले महीने राज्यों के साथ बैठक करके देश में खाद्य तेल और दालों की कीमतों की पुन: समीक्षा की जाएगी। उन्होंने दावा किया कि देश में खाद्य तेल और दालों की कीमतों में फरवरी से कमी आने लगेगी। उस समय तक नई फसल आ चुकी होगी, जिससे बढ़ती महंगाई से राहत मिलेगी।

तय होगी स्टॉक लिमिट

फूड सेक्रेट्री ने कहा कि व्यापारियों के साथ बातचीत करके राज्य सरकारें अगले हफ्ते से स्टॉक लिमिट तय करना शुरू कर देंगी। अगर कोई व्यापारी तय लिमिट से ज्यादा स्टॉक इकट्ठा करता पाया गया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

प्याज को लेकर यह रणनीति

फूड सेक्रेट्री ने बताया कि प्याज के दामों पर नजर रखने के लिए मंत्रालय की हर हफ्ते बैठक होगी। फिलहाल देश में 1 लाख टन प्याज का बफर स्टॉक है। हालांकि हमने प्याज भाव में असाधारण तेजी नहीं देखी है। राज्यों का भी यही विचार है। प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध जैसी स्थिति फिलहाल दिखाई नहीं दे रही है। हम राज्यों को प्याज की पेशकश 26 रुपये प्रति किलोग्राम की कीमत पर कर रहे हैं।

फरवरी तक कम होंगे सरसों के तेल के दाम

फूड सेक्रेट्री ने कहा कि सरसों के तेल के उत्पादन में लगभग 10 मीट्रिक टन की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि सरसों के तेल की कीमतों के फरवरी तक कम होने के आसार प्रतीत हो रहे हैं। अन्य देशों की तुलना में आवश्यक वस्तुओं की की कीमतें कम करने के लिए राज्यों के साथ केंद्र सरकार का दखल बहुत तेज है। पॉम तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ रही हैं, लेकिन भारत में कम हो रही हैं।

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