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आठ साल बाद घाटी में सड़कों पर फिर सुरक्षा बंकरों की वापसी

श्रीनगर। कश्मीर में पिछले दो हफ्तों में आतंकवादियों द्वारा आम लोगों की हत्या किए जाने के करीब आठ साल बाद शहर की सड़कों पर सुरक्षा बंकरों की वापसी हो रही है और घाटी में अर्धसैनिक बलों के और अधिक जवान तैनात किए जा रहे हैं। 1990 के दशक में घाटी में आतंकवाद के चरम पर होने के दौरान भी ऐसी कोई चीज मौजूद नहीं थी। श्रीनगर में हवाई अड्डा मार्ग पर बरजुल्ला पुल पर ऐसे बंकर बनाए गए हैं।

सुरक्षा बंकर हो रहे हैं तैयार

केंद्रीय सशस्त्र अर्धसैनिक बलों (सीएपीएफ) द्वारा श्रीनगर के कई इलाकों में सुरक्षा बंकर तैयार किए जा रहे हैं, जहां कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में समग्र सुधार के बाद 2011 और 2014 के बीच इन्हें हटा दिया गया था। सूत्रों ने कहा कि नए बंकरों का निर्माण और अधिक सुरक्षाकर्मियों की तैनाती घाटी में आतंकी घटनाओं पर लगाम कसने के लिए की जा रही है।

50 कंपनियां तैनात

सूत्रों के मुताबिक आतंकवाद की हालिया घटनाओं से पता चलता है कि आतंकवादी वारदात को अंजाम देने के कुछ समय में ही एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चले जाते हैं, इसलिए केवल क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करके ही आतंकियों पर अंकुश लगाया जा सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि आम लोगों की हत्याओं के मद्देनजर घाटी में विशेष रूप से श्रीनगर में सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की 50 कंपनियां तैनात की जा रही हैं।

2010 में हटा दिए गए थे बंकर

वर्ष 2010 में कश्मीर का दौरा करने वाले एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा की गई सिफारिशों पर श्रीनगर में 50 से अधिक सुरक्षा चौकियां और बंकर हटा दिए गए थे। 2010 में केंद्र द्वारा नियुक्त वार्ताकारों की एक टीम ने भी इसी तरह की सिफारिशें की थीं। टीम का नेतृत्व वरिष्ठ पत्रकार दिलीप पडगांवकर ने किया था और प्रोफेसर राधा कुमार तथा पूर्व सूचना आयुक्त एम एम अंसारी इसके सदस्य थे। तब स्थिति में इस हद तक सुधार हुआ था कि तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सिफारिश के बाद जम्मू-कश्मीर से चरणबद्ध तरीके से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आफ्सपा) को निरस्त किया।

जेल में बंद आतंकियों की शिफ्टिंग

जम्मू-कश्मीर में अचानक बढ़ी आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए सख्ती शुरू हो गई है। इसके लिए केंद्र शासित प्रदेश की जेलों में बंद ए और बी कैटेगरी के हार्डकोर आतंकियों को दूसरे राज्यों की जेलों में शिफ्ट किया जा रहा है। कश्मीर घाटी की अलग-अलग जेलों में बंद 26 आतंकियों का पहला ग्रुप दूसरे राज्यों की जेलों के लिए रवाना कर भी दिया गया है। सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर की विभिन्न जेलों में बंद ऐसे 100 आतंकियों की लिस्ट तैयार की गई है, जो सुरक्षा बलों की तरफ से तैयार की गई ए और बी कैटेगरी के आतंकियों की लिस्ट में शामिल हैं। ये आतंकी जेल में रहकर भी बाहर अपने स्लीपर सेल के साथ लिंक जोड़े हुए हैं।

370 हटने के बाद आज पहली बार कश्मीर गए शाह

अनुच्छेद 370 व 35ए हटने के बाद शनिवार से शुरू हो रहे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के पहले जम्मू-कश्मीर दौरे पर जम्मू और श्रीनगर में सुरक्षा के अभूतपूर्व प्रबंध किए गए हैं। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बलों की तैनाती के साथ ही ड्रोन से भी निगरानी रखी जाम रही है। दौरे के तहत उन्होंने श्रीनगर से शारजाह के लिए विमान सेवा का शुभारंभ किया। इसके साथ ही लाभार्थी सम्मेलन में विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों व पंचायत प्रतिनिधियों से रूबरू हुए। प्रदेश में टारगेट किलिंग की घटनाओं को लेकर उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक करने के साथ ही जम्मू में सभा को संबोधित किया। जम्मू आईआईटी में नए ब्लाक का उद्घाटन भी किया।

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