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8 साल में 40 फीसदी महंगा हुआ आटा, किसने कमाया फायदा ?

नई दिल्ली। गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों के बीच सरकार ने बीते शनिवार को इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी। दिन बाद ही सरकार ने गेहूं की सरकारी खरीद की तारीख बढ़ा दी। लेकिन रोक के तीन दिन बाद यानी मंगलवार को इस बैन में ढील का भी एलान हो गया।

सरकार के इन फैसलों से गेहूं की कीमतें कम होने की उम्मीद जताई गई। इसके साथ ही सरकारी खरीद की तारीख बढ़ाने के फैसले को सरकारी खरीद का लक्ष्य पूरा करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। बता दें कि भारत गेहूं उत्पादन के मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर है। सरकार इस कदम को देश की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए लिया गया फैसला बता रही है।

सरकार ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध का आदेश दिया। उस दिन गेहूं 29.62 रुपये किलो तो आटा 33.14 रुपये किलो था। उससे पहले हर दिन गेहूं और आटे के दाम बढ़ रहे थे। सरकार के एलान के अगले ही दिन दामों में करीब एक रुपये की कमी आई। 14 मई को खुदरा बाजार में गेहूं 28.46 रुपये किलो हो गया तो आटा 32.49 रुपये किलो हो गया। हालांकि, इसके बाद अगले ही दिन से दाम फिर से बढ़ने लगे। 19 मई को गेहूं और आटे के दाम 13 मई के दाम के स्तर पर पहुंच गए।

आज से आठ साल पहले मई 2014 में खुदरा बाजार में आटा 23 रुपये किलो तो गेहूं 21.42 रुपये किलो बिक रहा था। पांच साल बाद 2019 में आटा 28.11 रुपये किलो तो गेहूं 26.63 रुपये किलो हो चुका था। यानी, पांच साल में आटे के दाम में 22 फीसदी तो गेहूं के दाम में 24 फीसदी का इजाफा हुआ। बीते तीन साल की बात करें तो आटा 33.14 रुपये किलो तो गेहूं 29.92 रुपये किलो हो चुका है। तीन साल में आटे के दाम में करीब 18 फीसदी तो गेहूं के दाम में 12 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है।

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