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इस मांग के साथ शुक्रवार को किसान नेता सरकार से करेंगे बात

नई दिल्ली। किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के उस प्रस्ताव को मानने से इंकार कर दिया है, जिसमें सरकार ने 10वें दौर की बातचीत में तीनों नए कानूनों का क्रियान्वयन डेढ़ साल तक स्थगित रखने का सुझाव दिया था और समाधान का रास्ता निकालने के लिए एक समिति गठित करने की भी बात कही थी।

सरकार के प्रस्ताव को किया खारिज

सरकार के इस प्रस्ताव पर संयुक्त किसान मोर्चा के अंतर्गत किसान नेताओं ने सिंघू बॉर्डर पर एक बैठक की, जिसमें प्रस्ताव को खारिज करने फैसला लिया गया। कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान संगठन पिछले करीब दो महीने से आंदोलन कर रहे हैं। शुक्रवार को फिर से सरकार के प्रतिनिधियों और किसान संगठनों के बीच 11वें दौर की बात होनी है।

नहीं टलेगा ट्रैक्टर मार्च

किसान संगठनों का कहना है कि गुरुवार की बैठक में 26 जनवरी के ट्रैक्टर मार्च पर चर्चा की गई और हम उससे पीछे नहीं हट रहे हैं। उन्होंने कहा, यदि सरकार ट्रैक्टर मार्च टालना चाहती है तो कानून रद्द करे। किसानों का कहना है कि आंदोलन में अब तक 147 किसानों की मौत हो चुकी है। उच्चतम न्यायालय द्वारा बनाई गई समिति ने वार्ता शुरू कर दी और इस उसने आठ राज्यों के 10 किसान संगठनों से बात की है।

उच्चतम अदालत ने तीन कृषि कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी और गतिरोध को समाप्त करने के लिए चार-सदस्यीय एक समिति का गठन किया था. फिलहाल, इस समिति मे तीन सदस्य हैं क्योंकि भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इस समिति से अलग कर लिया था।

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