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Diwali 2021: 15 हजार किलो सोने से बना अदभुत और चमत्कारी है यह लक्ष्मीनारायणी मंदिर

Diwali 2021: देवी लक्ष्मी की आराधना से भक्तों को धन, समृद्धि, एश्वर्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है। देवी लक्ष्मी के पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर धरती पर कुछ जगहों पर उत्कृष्ठ आभा और विशेष आकर्षण के साथ स्थापित हैं। जिसमें प्रमुख है कोल्हापुर का महालक्ष्मी मंदिर, मुंबई का महालक्ष्मी मंदिर और वेल्लोर का लक्ष्मीनारायणी मंदिर। आइए जानते हैं हजारों किलों सोने से तराशे गए इस सिद्ध और धनदायी मंदिर के संबंध में।

सोने की उम्दा कारीगरी का नमूना

देश में जब कभी स्वर्ण मंदिर की बात आती है तो हमारे जेहन में अमृतसर का स्वर्ण मंदिर आता है, लेकिन दक्षिणी प्रदेश तमिलनाडु के वेल्लोर शहर में स्थित यह मंदिर अदभुत, विस्मयकारी और कला का उत्कृष्ट नमूना है। देवी महालक्ष्मी का स्वर्ण जड़ित लक्ष्मीनारायणी मंदिर वेल्लोर नगर के मलाईकोड़ी पहाड़ों पर स्थित है। देवी लक्ष्मी के इस स्वर्ण मंदिर के आंतरिक और बाहरी भागों को संवारने के लिए सोने की उम्दा कारीगरी का काम किया गया है। मंदिर के निर्माण में 15 हजार किलो शुद्ध सोने का इस्तेमाल किया गया है।

सोने की दीपमाला से होता है रोशन

100 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैला यह मंदिर चारों तरफ से हरियाली से घिरा हुआ है। हरे-भरे वृक्षों और लताओं से मंदिर के आसपास का वातावरण सुरम्य और स्वर्गिक हो जाता है। इस मंदिर को दक्षिण भारत का स्वर्ण मंदिर कहा जाता है। रात में जब 27 फीट ऊंची सोने की दीपमाला को रोशन किया जाता हैं तो इस मंदिर का अक्स देखते ही बनता है। रोशनी में महालक्ष्मी मंदिर स्वर्णिम आभा से चमकने लगता है। विश्व का यह एकमात्र मंदिर हैं, जहां पर इतनी बड़ी मात्रा में सोने का प्रयोग किया गया है। सात साल में बनकर तैयार हुए इस मंदिर का उद्घाटन अगस्त 2007 में हुआ था। मंदिर को सुबह 4 से 8 बजे तक अभिषेक के लिए और सुबह 8 से रात के 8 बजे तक दर्शन के लिए खोला जाता है।

श्री नारायणी पीडम द्वारा है संचालित

इस स्वर्ण मंदिर का निर्माण वेल्लोर स्थित धर्मार्थ ट्रस्ट श्री नारायणी पीडम द्वारा करवाया गया है, जिसके प्रमुख आध्यात्मिक नेता श्री सक्ति अम्मा को ‘नारायणी अम्मा’ के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के पास ही श्री नारायणी अस्पताल और अनुसंधान केंद्र भी है, जिसे ‘श्री नारायणी पीडम’ चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा ही चलाया जाता है। इस मंदिर में जाने के लिए सबसे नजदीक का रेलवे स्टेशन काटपाडी है। काटपाडी से 7 किलोमीटर की दूरी पर ये मंदिर स्थित है। इसके अलावा यहां पर सड़क या फिर फ्लाइट से भी पहुंचा जा सकता है।

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