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पर्यावरण सुरक्षा के लिए बैलगाड़ी में की बेटी की विदाई

बुरहानपुर। नेपानगर के अंधारवाड़ी गांव में रहने वाला एक परिवार अपनी बेटी को ससुराल से विदा कराने बैलगाड़ी में पहुंचा। इसी बैलगाड़ी में बेटी विदा हुई। ये पर्यावरण और परंपरा दोनों को बचाने की पहल है। लोगों ने भी इसकी तारीफ की।  

नेपानगर के अंधारवाड़ी में रहने वाली भगवत चौहान ने बेटी की विदाई के बहाने पर्यावरण सुरक्षा और परंपरा निभाने का संदेश दिया. वो अपनी बेटी को ससुराल से विदा कराने बैलगाड़ी लेकर पहुंचे। बैलगाड़ी को काफी सजाया गया था।

भागवत चौहान की बेटी पूजा चौहान की दो दिन पहले ही संभाजी पाटणकर के बेटे शुभम पाटणकर से शादी हुई है। चौहान परिवार ने बेटी को ससुराल से मायके लाने के लिए चमचमाती गाड़ी के बजाए भारतीय परंपरागत पद्धति और संस्कति को अपनाया। बैलगाड़ी का इस्तेमाल वैसे तो अब गांव में खेती किसानी और आवाजाही के लिए किया जाता है। कभी कभी पेट्रोल डीजल दाम बढ़ोतरी के खिलाफ विपक्षी दल इस पर सवार होते हैं। लेकिन हाल के दिनों में शादी ब्याह में अब इस्तेमाल करता कोई नजर नहीं आता। पूजा के ससुराल वाले भी अपने समधी की ये पहले देखकर खुश हो गए।  उन्होंने समधी का स्वागत किया और खुशी खुशी अपनी बहू को विदा किया. सबने बैलगाड़ी के साथ खड़े होकर फैमली फोटो खिंचवाई ।

दूल्हे के पिता संभाजी पाटनकर ने बताया इस नजारे को देख सभी आनंदित हो गए। चौहान परिवार ने एक अच्छी पहल की है। पर्यावरणविद भी इस पहल की तारीफ कर रहे हैं। उनका कहना है इससे बैलगाड़ी और बैलों के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। पर्यावरण की रक्षा होगी. साथ ही पेट्रोल डीजल का खर्च बचेगा। भागवत चौहान बेटी को बैलगाड़ी पर लेकर खुशी खुशी अपने घर रवाना हुआ. रास्ते में जिसने भी देखा वो एक बार रुका और फिर तस्वीरें अपने मोबाइल फोन में कैद कर लीं। सबने नयी दुल्हन को शुभकामनाएं दीं।

मृदुभाषी के लिए गौरव शुक्ला की रिपोर्ट

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