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सिद्धू के आगे नहीं झुकेगा कांग्रेस आलकमान, जानिए इस्तीफे से जुड़ी अंदर की बातें

चंडीगढ़। कभी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद तक तो पहुंचे, लेकिन 72 दिन ही यह जिम्मेदारी निभा पाए। पंजाब कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने पार्टी में बने रहने की बात कही है। सिद्धू ने सोनिया गांधी को पत्र के मध्यम से इस्तीफे की जानकारी दी है।

सिद्धू बनना चाहते थे सीएम

बीते कुछ महीनों से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से उनकी तकरार चल रही थी। बाद में कैप्टन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को पंजाब का सीएम बनाया। ऐसा कहा जा रहा है कि सिद्धू खुद सीएम बनना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने कुछ और ही फैसला किया। इसके बाद उन्होंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। सोनिया गांधी को भेजे इस्तीफे में सिद्धू ने लिखा कि वे पंजाब के भविष्य के साथ समझौता नहीं करना चाहते। सिद्धू ने इस्तीफे की असल वजहों को पत्र में तो नहीं लिखा है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के साथ उनकी बन नहीं रही थी और उनके कुछ फैसलों से भी सिद्धू खुश नहीं थे।

कांग्रेस के लिए काम करने की कही बात

सोनिया को भेजे इस्तीफे में सिद्धू ने लिखा कि समझौता करने से इन्सान का चरित्र खत्म होता है। मैं पंजाब के भविष्य से समझौता नहीं कर सकता। इसलिए मैं प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देता हूं और आगे कांग्रेस के लिए काम करता रहूंगा। सिद्धू का इस्तीफा इसलिए भी चौंकाने वाला है, क्योंकि कांग्रेस आलाकमान ने ही उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए चुना था। साथ ही उनके साथ ही विवाद के कारण कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपना पद छोड़ना पड़ा था।

अंदर की बात

अंदर की बात ये है कि सिद्धू को संतुष्ट कर पाना किसी के लिए आसान नहीं है। वे सीएम बनना चाहते थे, लेकिन उन्हें यह मौका नहीं दिया गया। अंदरखाने नाराजगी थी कि बड़ी नियुक्तियों में सिद्धू को भरोसे में नहीं लिया जा रहा था। सिद्धू की फितरत में यह शामिल हो गया है कि वे अपनी राजनीतिक पारी में अचानक यू-टर्न ले लेते हैं। अब वे आम आदमी पार्टी में तो नहीं जाएंगे। इस वक्त दल बदलने का उनका कोई इरादा नहीं दिखता।

आखिर कहां चूक गए सिद्धू?

उनकी तीव्र इच्छा मुख्यमंत्री बनने की थी। उन्होंने जबर्दस्त लॉबिंग की थी। जातिगत समीकरण के मद्देनजर कांग्रेस ने उन्हें सीएम नहीं बनाया। पंजाब में सिद्धू का बड़ा जनाधार भी नहीं है। लोग उन्हें गंभीरता से नहीं लेते। जो परिपक्वता उनमें बतौर प्रदेश अध्यक्ष दिखनी चाहिए थी, वह नहीं दिखी। कांग्रेस ने यह दांव ही गलत चला था।

सिद्धू के नाराजगी के कारण

-कैबिनेट में जिस तरह पोर्टफोलिया बांटा गया, उससे नवजोत सिंह सिद्धू खुश नहीं थे।

  • नई कैबिनेट में सुखविंदर सिंह रंधावा को गृह मंत्री बनाया गया है, जबकि नवजोत सिंह सिद्धू और उनके साथी इसका विरोध करते रहे।
    -अमृतसर सुधार ट्रस्ट का लेटर चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा दिया गया। जबकि सिद्धू इसे सौंपना चाहते थे।
  • कुछ अफसरों के ट्रांसफर से भी सिद्धू खुश नहीं थे।

कैप्टन ने बीजेपी में जाने की अटकलों को किया खारिज

पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने दिल्ली दौरे को निजी दौरा बताया है। बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को विराम देते हुए कैप्टन ने खुद कहा कि वे यहां अपने दोस्तों से मिलेंगे और कपूरथला हाउस को खाली करेंगे।

सिद्धू अस्थिर आदमी

मैं पहले ही कह चुका हूं कि नवजोत सिंह सिद्धू अस्थिर आदमी है। वे पार्टी में कभी भी लंबे समय तक रहने वालों में से नहीं है और ऐसा ही हुआ।
-कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब के पूर्व सीएम

राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कलह

कैप्टन अमरिंदर की अगली सियासी चाल का सबको इंतजार है। उधर, कांग्रेस के लिए राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी आंतरिक कलह को लंबे वक्त तक दबाए रखना या दूर करना आसान नहीं है।

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