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सीएम शिवराज, नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ, गृह मंत्री मिश्रा ने किया पुस्तक का विमोचन

भोपाल। प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार देव श्रीमाली द्वारा लिखी गई पुस्तक बिछड़े कई बारी- बारी का मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसरोवर सभागार में विमोचन किया गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ, विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने पुस्तक “बिछड़े कई बारी-बारी” का विमोचन किया।

पुस्तक विमोचन से पूर्व नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने कहा कि कोरोना की जो लहर आई उसने सब कुछ तबाह कर दिया। कमलनाथ ने कहा कि पहले पोलियो हुआ करता था व अन्य बीमारियां होती थी लेकिन जैसी कोरोना है वैसी बीमारी विश्व में कभी नहीं आई। कमलनाथ ने कहा कि विश्व में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं बचा है जिसका मित्र और रिश्तेदार इस बीमारी के प्रकोप से बचा हो।कमलनाथ ने आगे कहा कि हमारे देश में प्रजातंत्र हैं। इस प्रजातंत्र को मजबूत और सफल बनाना था। मगर प्रजातंत्र को कुचलने का प्रयास किया गया है।

कमलनाथ ने चुटकी लेते हुए कहा कि मैंने जब एक पत्रकार से पूछा कि आप स्वतंत्र हैं तो उसका जवाब था कि 80% वह स्वतंत्र नहीं है।कमलनाथ ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि मैं मानता हूं कि सबसे ज्यादा मीडिया का क्षेत्र प्रभावित हुआ है। कमलनाथ ने कहा कि इस चुनौती का हमें अभी भी सामना करना हैं।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जो आया है उसे जाना है। उन्होनो कहा कि बिछड़े कई बारी-बारी से ऐसे हमारे कई साथी छोड़कर चले गए। उन्होनो कहा जो चले गए वह सब बहुत याद आते हैं। उन्होनो कहा कि शहर के वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार केशवानी को कौन भूल सकता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह सिंह ने कहां की भोपाल गैस कांड पर की गई उनकी रिपोर्टिंग पूरे दुनिया भर में मशहूर हुई थी जिसके बाद उन्हें अवार्ड दिया गया था।

उन्होंने कहा शिव अनुराग पटेरिया को कौन भूल सकता है वह चलते फिरते लाइब्ररी थे। ऐसे कई पत्रकार हैं जो इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए हैं। सीएम ने कहा कि आज मैं एक बार फिर आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं आपने बिछड़े हुए साथियो की स्मृति को एक पुस्तक पिरो कर उनकी यादों को ताजा कर दिया है। सीएम ने कहा कि अब कोई न बिछड़े यह सावधानी हमें रखना हैं।

देव श्रीमाली जी की यह किताब कोरोना में काल के गाल में समा गए उन पत्रकारो की गाथा और उनके परिवार की व्यथा है जिसे सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है। किताब में श्रीमाली जी ने एक पत्रकार के उस जीवन को उतारा है जो आम जन मानस के लिए शायद उनके मन में एक पत्रकार नामक प्राणी के लिए थोड़ी सी श्रद्धा पैदा कर पाए।

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