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चीन की दिग्गज कंपनी दिवालिया होने की कगार पर, दुनियाभर में गहराए मंदी के बादल

Evergrande Group: दुनिया में अपनी अर्थव्यवस्था का डंका बजाने वाले चीन से अब मंदी की आहट सुनाई दे रही है। चीन की दिग्गज रियल स्टेट कंपनी एवरग्रांड के दिवालिया होने की आशंका जताई जा रही है। यह ठीक उसी तरह के हालात है, जैसे 13 साल पहले अमेरिका के बैंकिंग फर्म लेहमैन ब्रदर्स के धराशायी होने के बाद हो गए थे।

एवरग्रांड पर है 22 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज

रियल स्टेट कंपनी एवरग्रांड पर इस वक्त 300 बिलियन डॉलर यानी करीब 22 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। यह राशि चीन की जीडीपी के 2 फीसदी के बराबर होती है। दरअसल एवरग्रांड ने बैंकों के कर्ज को नजरअंदाज कर अपनी विस्तारीकरण की नीति को जारी रखा और किसी को भी इस बात का अहसास नहीं होने दिया कि कंपनी भारी कर्ज के बोझ के तले दबी हुई है। चीन सरकार ने जब नियमों में बदलाव किया तो कंपनी के खस्ताहाल होने का पता चला।

38 लाख लोगों को मिलता है रोजगार

एवरग्रांड कंपनी में करीब 2 लाख कर्मचारी काम करते हैं और यह कंपनी हर साल चीन में करीब 38 लाख रोजगार पैदा करती है। एवरग्रांड ने चीन के करीब 250 से ज्यादा छोटे या बड़े शहरों में करोड़ों लोगों के घर के सपने को पूरा किया है। एवरग्रांड के दिवालिया होने से उससे कई छोटी या बड़ी कंपनियां भी दिवालिया हो सकती हैं। साथ ही इसका वैश्विक प्रभाव भी होगा। इसका सीधा असर चीन की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और इसकी रफ्तार सुस्त हो जाएगी।

भारत में दिखा असर

भारत की कई बड़ी कंपनियां एवरग्रांड से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़ी हैं। इसमें स्टील, केमिकल्स और मेटल सेक्टर की कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों का माल चीन के रियल एस्टेट को सप्लाई होता है। एवरग्रांड के खराब हालात का प्रभाव टाटा स्टील, सेल, जिंदल स्टील, वेदांता, अडानी एंटरप्राइजेज जैसी बड़ी कंपनियों पर भी पड़ेगा। इसा वजह से एवरग्रांड के दिवालिया होने की आशंका भर की खबर से सोमवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड स्टील, केमिकल्स और मेटल कंपनियों के शेयर बुरी तरह धाराशायी हो गए। इसका असर दुनियाभर के शेयर बाजार में रियल एस्टेट से जुड़ी कंपनियों पर देखा गया।

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