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छोटे गांव से आई भूरी बाई को, हुनर से मिली यह बड़ी कामयाबी

भूरी बाई

विनय यादव. झाबुआ जिले के एक छोटे गांव की भूरी बाई आज देश की महिलाओं के लिए एक प्रेरणा का स्त्रोत बन गई है। जो लोग पूरी मेहनत व लगन से अपने काम को करते है, वह काम कैसा भी हो, कुछ भी हो लेकिन अगर आप उस काम को पूरी शिध्दत से करेंगे तो आप यकिनन एक दिन कामयाबी की बुलंदियों को छुएंगे।

झाबुआ के एक छोटे गांव से मजदूरी करने भोपाल आई थी भूरी बाई

कामयाबी का कोई रुप नही होता इस मिसाल को पूरा किया कलाकार भूरी बाई ने। भूरी बाई एक ऐसी महिला जो झाबुआ जिले के एक छोटे से गांव से राजधानी भोपाल में अपने परिवार के साथ मजदुरी करने आई थी। उन्हें खुद पता नही था कि उनके अंदर किसी तरह का कोई हुनर छुपा हुआ है। गांव में त्यौहारों पर अपने घर को रंगने वाली एक सामान्य महिला थी।

दिल्ली के आए लोग चित्रकारी देखकर रह गए थे दंग

राज भवन में अपने परिवार के साथ मजदूरी कर रही भूरी बाई एक दिन ऐसे ही बैठे-बैठे चित्रकारी कर रही थी, तभी दिल्ली से आए कुछ लोगों की नजर उनकी चित्रकारी पर पड़ी। उन्होंने भूरी बाई से कागज पर चित्र बनाने के लिए कहां इसपर भूरी बाई डर गई थी, और कहने लगी थी कि मैं यहां मजदूरी करने के लिए आई हु। लेकिन अफसरों के दोबारा कहने पर भूरी बाई ने पहली बार कागज पर चित्रकारी की। उनकी चित्रकारी को देखकर सभी दंग रह गए और कहने लगे कि तुमने यह कहां से सीखा है।

गांव में दिवारों पर चित्रकारी करती थी भूरी बाई

भूरी बाई ने उनसे कहा था कि हमारे गांव में वर्षों से प्रथा चली आ रही है जिसमें त्यौहारों पर गाय को रंगा जाता है, हर वर्ष थोड़ा कलर बच जाता था उस कलर से में घर की दिवारों पर चित्रकारी करती थी। पहली चित्रकारी बनाने के लिए भूरी बाई को पांच सौ रुपए मिले थे।

भूरी बाई को मिले कई सम्मान

भूरी बाई ने मध्यप्रदेश सरकार, शिखर सम्मान द्वारा कलाकारों को दिए जाने वाले सर्वोच्च राजकीय सम्मान सहित पुरस्कार जीते है। पितौल गांव की रहने वाली भूरी बाई अपनी चित्रकारी के लिए कागज तथा कैनवास का इस्तेमाल करती है। इनके चित्रों में जंगल में जानवर, वन, देवी-देवताएं, पौशाक, गहने तथा गुदना(टेटू), झोपडियां, वायुयान, टेलीवीजन, कार तथा बसों का चित्र बनाना शुरु कर दिया है।

पदम श्री अवार्ड से भी सम्मानित  

इसके साथ ही भोपाल के मानव संग्रहालय में 70 फीट दिवार पर पैंटिंग बनाई जिसमें उन्होंने अपने पूरी जीवनी को चित्रकारी का रुप दिया। भूरी बाई को भारत देश का सबसे बड़ा सम्मान पदम श्री से नवाजा गया है। जिसकों लेकर वह काफी खुश नजर आ रही है।  अभी भूरी बाई भोपाल में आदिवासी लोककला अकादमी में एक कलाकार के तौर पर कार्य कर रही है।

भूरी बाई संस्कृति विभाग की ब्रांड एंबेसडर भी हैं


भूरी बाई को मध्यप्रदेश के संस्कृति विभाग का ब्रांड एंबेसडर बनाया गया है। भूरी बाई मध्यप्रदेश में कला और संस्कृति की समृद्ध परंपरा का प्रतिनिधित्व करने वाली रियल सेलेब्रिटी हैं। उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किए जाने पर पूरे देश को गर्व है।

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