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इस वजह से बाबुल सुप्रियो ने लिया राजनीति से संन्यास, जानिए वजह

babul supriyo

नई दिल्ली. पूर्व केंद्रीय मंत्री व आसनसोल से भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो ने राजनीति को अलविदा क्या कहा, पश्चिम बंगाल की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। यह बाबुल सुप्रियो का पॉलिटिकल ब्रेक हैं, या सियासी संन्यास यह कोई नहीं जान पाया हैं।

पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने अचानक राजनैतिक संन्यास लेने की घोषणा कर एक तरीके से भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व से नाराजगी जताई है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि इस नाराजगी के पीछे और अचानक राजनैतिक संन्यास लिए जाने की घोषणा की कई वजह हैं। सूत्रों का कहना है पहली बात तो पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बाबुल सुप्रीयो को जब टिकट देखकर मैदान में उतारा गया तो यह फैसला ही बाबुल के गले नहीं उतरा था।

उपचुनाव नहीं चाहती भाजपा

पश्चिम बंगाल में भाजपा के राज्यसभा सांसद मुकुल रॉय पहले ही बगावत कर तृणमूल कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं। अब अगर सुप्रियो लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा देते हैं तो पार्टी को राज्य में उपचुनाव का सामना करना पड़ेगा। उपचुनाव में अगर पार्टी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से पराजित हुई तो इसका असर कार्यकर्ताओं और राज्य इकाई के नेताओं के मनोबल पर पड़ेगा। वैसे भी शनिवार को उत्तर 24 परगना में हुई अहम बैठक से तीन विधायकों ने दूरी बना ली। पार्टी को आशंका है कि ये विधायक तृणमूल कांग्रेस में जा सकते हैं।

भाजपा की अंदरूनी राजनीति के शिकार हुए क्या सुप्रियो

जानकारी अनुसार इसके लिए बाबुल सुप्रियो ने भाजपा आलाकमान से बात भी की थी। सूत्रों के मुताबिक पार्टी की अंदरूनी राजनीति का उन्हें शिकार होना पड़ा। पश्चिम बंगाल के कुछ नेताओं को इस बात का मलाल रहता था कि बाबुल सुप्रियो को केंद्र में उनके हिसाब से कुछ ज्यादा ही बड़ा कद और पद मिला हुआ है। यही वजह है कि बाबुल सुप्रियो को विधानसभा के मैदान में उतारने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था, ताकि विधानसभा चुनाव के फैसलों के आधार पर उनकी लोकप्रियता का आकलन कर लिया जाए।

सूत्रों का कहना है कि बाबुल सुप्रियो ने अपने फेसबुक अकाउंट पर इस बात का जिक्र किया है कि वह किसी राजनीतिक पार्टी में नहीं जा रहे हैं, लेकिन ऐसा संभव होता नहीं दिख रहा है। जिस तरीके से पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस के बहुत बड़े बड़े विकेट अपने पाले में लेकर के गिराए थे, अब ठीक उसी तर्ज पर तृणमूल कांग्रेस का पार्टी नेतृत्व भाजपा को बंगाल में कमजोर करने की रणनीति बना रहा है।

सुप्रियो को मनाने में जुटी भाजपा

राजनीति से संन्यास की घोषणा के बाद भाजपा नेतृत्व पूर्व मंत्री और सांसद बाबुल सुप्रियो को मनाने में जुट गया है। इस क्रम में रविवार को पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की सुप्रियो के साथ एक घंटे की अहम बैठक हुई। बैठक में नड्डा ने सुप्रियो को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। सुप्रियो की पार्टी नेतृत्व के साथ एक बैठक भी होगी। इसके बाद वह संन्यास के संबंध में अंतिम फैसला करेंगे।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि सुप्रियो की पश्चिम बंगाल में पार्टी संगठन से चल रही तकरार इसका अहम कारण है। उनकी राज्य पार्टी अध्यक्ष दिलीप घोष के साथ विधानसभा चुनाव से पहले ही अनबन चल रही है। इसी बीच जब सुप्रियो को हालिया मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा, तब उन्होंने राजनीति से संन्यास लेने का मन बनाया।

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