उज्जैन। सावन के चौथे सोमवार को नगर भ्रमण पर निकले बाबा महाकाल, पालकी में चन्द्रमोलेश्वर और हाथी पर मनमहेश स्वरूप में दिए दर्शन, कोरोना गाइडलाइन के तहत श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया। सवारी में नदी पर आरती में राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय शामिल हुवे।
मंदिर के सभामंडप में विधिवत पूजन-अर्चन किया गया
विश्व् प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिणामुखी भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में श्रावण माह के चौथे सोमवार को बाबा महाकालेश्वर श्री चंद्र मोलेश्वर के स्वरूप में रजत की पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकले । सवारी शुरू होने से पहले यहां मंदिर के सभामंडप में विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। उसके पश्चात भगवान पालकी में विराजित होकर अपनी प्रजा को दर्शन देने के लिये नगर भ्रमण के लिए प्रस्थान किया। मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान महाकाल को सलामी (गॉड ऑफ ऑनर) दिया गया। उसके पश्चात सवारी बडा गणेश मंदिर के सामने से होते हुए हरसिद्धि मंदिर के समीप से नृसिंह घाट रोड पर सिद्धआश्रम के सामने से होते हुए क्षिप्रातट रामघाट पहुंची ।
महाकाल की शरण में आने कर बाद सारी दुनिया भूल जाते है
रामघाट पर मां क्षिप्रा के जल से बाबा महाकाल के अभिषेक-पूजन किया गया। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने पालकी का पूजन अर्चन कर आरती की। उन्होंने कहा की महाकाल की शरण में आने कर बाद सारी दुनिया भूल जाते है। इसके पूर्व मां शिप्रा का दुग्धाभिषेक किया। इसके पश्चात सवारी रामानुजकोट, हरसिद्धी पाल से हरसिद्धी मंदिर के सामने से होकर बडा गणेश मंदिर के सामने से होते हुए श्री महाकालेश्वर मंदिर आ गई। कोविड- गाइडलाइन को ध्यान रखते हुए सवारी में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध रहा।