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भविष्य से नहीं वर्तमान काल से ही शिक्षा में संशोधन जरूरी- मंत्री मोहन यादव

इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय द्वारा सभागृह में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में नैक प्रत्ययन और मूल्यांकन का संशोधित प्रारूप ‘एक दिवसीय कार्यशाला’ आयोजित की गई कार्यशाला के मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव शामिल हुए विशेष अतिथि विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन, कुलाधिसचिव डॉ. अशोक कुमार शर्मा एवं कुलसचिव डॉ. अनिल शर्मा भी कार्यशाला में सम्मिलित हुए।

मोहन यादव ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य से नहीं, बल्कि आज के युग से ही हमें शिक्षा में संशोधन करना होगा। साथ ही अन्य राज्यों के साथ खड़े होने के लिए शिक्षा का नया ढांचा तैयार करना होगा। नई शिक्षा नीति के जरिए विधार्थियों को पर्यावरण के लिए भी जागरूक करें और उन्हें अपनी कौशलता व कला को प्रदर्शित करने का भी अवसर दें।

इस नई शिक्षा नीति के द्वारा हम विधार्थियों को सर्वश्रेष्ठ बनाने का प्रयास करें, क्योंकि एक सर्वश्रेष्ठ युवा ही भारत के बेहतर भविष्य की पहचान है। विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. रेणु जैन ने भी कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में हमारी पुरातन संस्कृति को भी शामिल किया गया है और ये हमारा कर्तव्य है कि पुरातन ज्ञान को हम आज के युग से जोड़े नई शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय स्तर पर शिक्षा समिति बनाई गई और साथ ही नए पाठ्यक्रम को तैयार किया गया है। मुझे आशा है की हम और तेजी से शिक्षा के स्तर में आगे बढ़ेंगे।

नई शिक्षा नीति से विद्यार्थी होंगे मजबूत

विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि नई शिक्षा नीति का उद्देश्य शिक्षा की नींव के साथ एक भारत सर्वश्रेष्ठ भारत बनाना भी है। वैश्विक चुनौतियों के लिए शिक्षा ही समाधान है। नई शिक्षा निति विधार्थियों के लिए एक मजबूत ढांचा है तथा मैं एक अच्छे भविष्य की आशा करता हूं। नई शिक्षा निति को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय में इस वर्ष 100 से अधिक कंपनियां आई, जिसमें 1000 से भी अधिक विधार्थियों का चयन हुआ और इसमें सबसे अधिक पैकेज 56 लाख का रहा। साथ ही पर्यावरण के लिए विश्वविद्यालय प्रत्येक वर्ष ग्रीन कैलेंडर जारी करता है। इस कार्यशाला के सत्र में नई शिक्षा नीति द्वारा 2035 तक 50 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात बढ़ाना, जीवन कौशल विकसित करना, बहुविषयक दृष्टिकोण, चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम, आदि जैसे मुख्य बिंदु को प्रदर्शित किया गया।

कार्यक्रम में मौजूद थे ये लोग

विद्वान वक्ता नैक एवं प्राचार्य अग्रवाल पीजी कॉलेज, बल्लभगढ़ के जनरल कौंसिल डॉ. कृष्ण कांत गुप्ता, नैक पूर्व सलाहकार डॉ. केरमा व उच्च शिक्षा विभाग, भोपाल के ओएसडी. डॉ. धीरेंद्र शुक्ला शामिल हुए। साथ ही निवेदक के रूप में उच्च शिक्षा विभाग की अतिरिक्त संचालक डॉ. सुरेश सिलावट, मानव संसाधन विकास केंद्र की निदेशक डॉ. नम्रता शर्मा , आईक्यूएसीके निदेशक डॉ. प्रतोष बंसल और महाविद्यालय विकास परिषद् के निदेशक डॉ. राजीव दीक्षित शामिल हुए।

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