नई दिल्ली। कोरोना का ओमिक्रॉन वेरिएंट आखिरी नहीं है, इसके अन्य वेरिएंट भी सामने आ सकते हैं। इनमें से कोई वेरिएंट पहले की तुलना में अधिक संक्रामक और जानलेवा भी हो सकता है। दुनियाभर में अभी ही ओमिक्रॉन के चार स्वरूप संक्रमण फैला रहे हैं। इन पर नजदीकी निगाह रखी जा रही है। देखा जा रहा है कि ये किस-किस तरह से अपना रूप बदल रहे हैं या आगे बदलने की कोशिश करते हैं।
डब्ल्यूएचओ की तकनीकी विशेषज्ञ डॉक्टर मारिया वेन केरखोव ने यह चेतावनी दी है। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मीडिया से बातचीत करते हुए मारिया ने कहा कि हमें वायरस के बारे में काफी जानकारियां हैं, लेकिन सब कुछ पता नहीं है। जैसा कि हमने अब तक देखा है, हर नया वेरिएंट अपने साथ कुछ न कुछ नई चीजें, नए लक्षण, नई खासियतें लेकर आ रहा है। अक्टूबर 2020 में भारत में सामने आया डेल्टा वेरिएंट सबसे घातक था। इसने लाखों जिंदगियां लीं, करोड़ों को लोगों को संक्रमित किया। उनके स्वास्थ्य में जटिलताएं पैदा कीं। करीब एक साल बाद दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन का पता चला, जो सबसे तेजी से फैलने वाला वेरिएंट है। इससे मरीज गंभीर बीमार तो नहीं पड़ रहा है लेकिन इसके स्पाइक प्रोटीन में 30 से ज्यादा म्यूटेशन हैं। इससे यह वैक्सीन से मिली इम्युनिटी को भी चकमा दे रहा है, इसीलिए इस बात की कोई गारंटी नहीं दी जा सकती कि कोरोना कमजोर हो रहा है और भविष्य में अब इसमें किसी तरह का कोई नया बदलाव नहीं आएगा।
अभी वैक्सीन और उसके बूस्टर डोज से ही बचाव
डॉक्टर मारिया महामारी विज्ञान की विशेषज्ञ हैं। उन्होंने कहा, ह्ययह सच है कि ओमिक्रॉन जैसे वेरिएंट कोरोना वैक्सीन से मिली इम्युनिटी को चकमा दे रहे हैं, लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी है कि वैक्सीन की वजह से ही ओमिक्रॉन ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा सका है। इससे लोग संक्रमित तो हुए, लेकिन अस्पताल में भर्ती किए जाने की नौबत कम लोगों को आइ। संक्रमण से मौत की स्थितियां तो और कम मामलों में बनीं। ऐसे में, यह कहना गलत नहीं होगा कि वैक्सीन और उसके बूस्टर डोज ही हमें कोरोना के भविष्य में आने वाले वेरिएंट से हमें बचा सकते हैं।