नई दिल्ली। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के एक करीबी संबंधी ने शुक्रवार को कहा कि पीवी नरसिम्हा राव की सरकार 1990 के दशक में नेताजी के अस्थि अवशेषों को जापान से भारत वापस लाना चाहती थी। वह इस काम के कगार पर पहुंच गई थी लेकिन एक खुफिया रिपोर्ट के चलते उसने अपने कदम पीछे खींच लिए गए थे। इस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि इस मामले से जुड़े विवाद के चलते कोलकाता में दंगे हो सकते हैं।
मृत्यु पर है विवाद
विदेश मंत्रालय के सहयोग के साथ हिंद-जापान सैमुराई सेंटर की ओर से आयोजित की गई इस सेमिनार में पूर्व सांसद और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में गार्डिनर चेयर ऑफ ओसिएनिक हिस्ट्री अफेयर्स के प्रोफेसर सुगत बोस ने कहा कि नेताजी की मृत्यु पर निर्रथक विवाद अब समाप्त होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नेताजी बोस स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रिम पंक्ति के एकमात्र ऐसे नेता थे जिनकी मृत्यु रणभूमि में हुई थी।
अस्थियों को लाने की मांग
वहीं, लेखक और नेताजी पर शोध करने वाले आशीष रे ने सितंबर 1945 से टोक्यो के बौद्ध मठ रेनकोजी टेंपल में रखे बोस के अस्थि अवशेषों को वापस लाने की अपील की। उन्होंने कहा कि नेताजी की अस्थियों पर कानूनी हक उनकी बेटी प्रो. अनीता फाफ का बोना चाहिए। भारत सरकार को उन्हें इसे प्राप्त करने की अनुमति देनी चाहिए। अनीता पफाफ अर्थशास्त्र की प्रोफेसर हैं और फिलहाल जर्मनी में रहती हैं।