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2028 के सिंहस्थ को लेकर उज्जैन कलेक्टर का बयान- 2016 के बाद सिंहस्थ क्षेत्र में बने पक्के निर्माण हटेंगे

उज्जैन। महाकाल मंदिर के विकास के साथ अब कलेक्टर आशीष सिंह ने सिंहस्थ को लेकर भी मंशा साफ कर दी है। उन्होंने बुधवार को बैठक में कहा कि 2016 के बाद सिंहस्थ क्षेत्र में अतिक्रमण कर बनाए गए पक्के निर्माण कार्यों को हटाया जाएगा। इस संबंध में उन्होंने नगर निगम के भवन अधिकारियों, जोन अधिकारियों व इंजीनियर्स की बैठक लेकर दिशा-निर्देश दिए।

कलेक्टर ने कहा कि अगले 7 दिनों में ऐसे सभी निर्माण कार्यों को चिन्हित करें। सिंहस्थ क्षेत्र में अस्थाई निर्माण कार्य, जिनमें टीन शेड शामिल हैं, उनके बारे में रिपोर्ट देने की आवश्यकता नहीं है। बैठक में नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता, एसडीएम कल्याणी पांडे, अपर आयुक्त मनोज पाठक, भवन अधिकारी पीयूष भार्गव व अन्य अधिकारी मौजूद थे। सिंहस्थ की जमीन पर अतिक्रमण की शिकायतें सिंहस्थ के बाद से ही चल रही हैं। यहां कई लोगों ने अवैध रूप से कॉलोनियां काट दी हैं। मामले में पूर्व में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि भी मोर्चा खोल चुके हैं। वे अवैध कॉलोनइजर्स समेत नगर निगम के एक अधिकारी पर भी कब्जा करने का आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने कहा कि यदि सिंहस्थ की जमीन पर ऐसे ही अतिक्रमण होते रहे तो आयोजन ही मुश्किल में पड़ जाएगा।

शिप्रा किनारे ग्रीन बेल्ट की जमीन भी बचाने की मांग कर चुके हैं

साधु-संतों पहले भी कई बार प्रशासन से मिलकर सिंहस्थ क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने व शिप्रा किनारे ग्रीन बेल्ट की जमीन भी बचाने की मांग कर चुके हैं। प्रशासन सिंहस्थ को नई जगह ले जाने की बजाए, इसकी जमीन पर कट रही अवैध कॉलोनियों को हटाए। मास्टर प्लान 2035 को लेकर संतों का कहा 1980, 1992, 2004, 2016 में सिंहस्थ लगा, वहीं लगे। सिंहस्थ क्षेत्र की जमीन को लेकर कांग्रेस व भाजपा भी आमने-सामने आ चुकी हैं। पूर्व मंत्री जीतू पटवारी आरोप लगा चुके हैं कि भाजपा के विधायक व मंत्री भूमाफिया व बिल्डर लॉबी के दबाव में आकर सिंहस्थ की जमीन के उपयोग में गड़बड़ी कर रहे हैं। हालांकि भाजपा ने पटवारी पर पलटवार करते हुए कहा था कि यहां कांग्रेस नेताओं की कई अवैध कॉलोनियां कटी हैं। दूसरी ओर, इस मामले में मंत्री डॉ. मोहन यादव भी साफ कर चुके हैं कि मास्टर प्लान 2035 में सिंहस्थ की 3061 हेक्टेयर में से एक इंच जमीन भी आवासीय नहीं होने दी जाएगी।

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