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100 करोड़ वैक्सीन का रिकॉर्ड, 23 करोड़ ने एक भी डोज नहीं लगवाया

नई दिल्ली। भारत ने 100 करोड़ कोरोना वैक्सीन डोज लगाकर इतिहास रच दिया है। देश को यह मील का पत्थर छूने में भले ही करीब 10 महीनों का समय लगा हों, लेकिन ये पिछले 2-3 महीनों में कोरोना वैक्सीनेशन की तेज रफ्तार का कमाल ही है कि भारत इतनी जल्दी इस मुकाम को हासिल कर पाया। चीन के बाद भारत सबसे ज्यादा कोरोना वैक्सीन की खुराक देने वाले दूसरा देश बन गया है। भारत ने 276 दिनों में 100 करोड़ कोविड वैक्सीनेशन का लक्ष्य हासिल कर लिया है। चीन ने यह लक्ष्य सितंबर में हासिल कर लिया था।

280 दिनों में मिली बड़ी सफलता

भारत में इसी साल 16 जनवरी से शुरू हुए टीकाकरण के बाद से 21 अक्टूबर तक 100 करोड़ से ज्यादा कोरोना टीके लोगों को लगाए जा चुके हैं। देश ने 280 दिनों में इस बड़ी सफलता को हासिल किया है और शायद इसी का नतीजा है कि कई राज्यों में तो नए केसों की संख्या 100 से भी कम रह गई है। यही नहीं देश भर का आंकड़ा भी पिछले 5 दिनों से लगातार 15,000 से कम बना हुआ है। देश के लिए 100 करोड़ डोज का आंकड़ा उत्साह बढ़ाने वाला है। इसके बाद भी यह नहीं भूल सकते कि करीब 23-24 करोड़ वयस्क ऐसे हैं, जिन्होंने एक डोज भी नहीं लिया है। इसका कारण जानना बेहद जरूरी है। एक-चौथाई आबादी वैक्सीन लगाने से हिचक रही है। उनकी हिचक तोड़ना जरूरी है। इसी तरह खबरें आ रही हैं कि लोग दूसरा डोज नहीं लगवा रहे, इस पर फोकस करने की आवश्यकता है। समझाना होगा कि पूरी तरह प्रोटेक्शन तभी मिलेगा जब दोनों डोज लगे होंगे।

अभी भी संक्रमण से पूरी सुरक्षा नहीं

देश में 100 करोड़ टीके लगने पर जश्न का माहौल तो ठीक है, लेकिन ये जो टीके लगाए गए हैं इनमें से वैक्सीन लगाने की योग्य आबादी के करीब 30.9 फीसदी लोगों को ही दोनों खुराक लगाई जा सकी हैं। करीब 71 करोड़ पहली खुराक लगाई गई हैं और बाकी के करीब 29 करोड़ को ही दूसरी खुराक लगाई जा सकी हैं। एक खुराक लगाने का मतलब है कि वे अभी भी कोरोना संक्रमण से पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं और इसके फैलने का खतरा है। बच्चों को अभी भी टीका लगाया जाना शुरू नहीं हुआ है।

190 करोड़ खुराक चाहिए

देश की आबादी 130 करोड़ से ज्यादा है। सरकार ने ही कहा है कि इनमें से 93-94 करोड़ लोग 18 वर्ष से ज्यादा उम्र के हैं यानी वयस्क हैं। इसका मतलब है कि सिर्फ पूरी वयस्क आबादी को ही टीके लगाने के लिए करीब 190 करोड़ खुराक चाहिए। यदि बच्चों को भी शामिल कर लिया जाए तो 260 करोड़ से ज्यादा खुराक चाहिए।

अभी भी धीमी है रफ्तार

  • 4 अक्टूबर को पहली और दूसरी खुराक वयस्क आबादी के 70.1 फीसदी और 26.3 फीसदी तक मिल पाई थी।
  • 20 सितंबर को यह आंकड़ा 64 फीसदी और 21.7 फीसदी था। यानी सितंबर के पखवाड़े में 6.1 और 4.6 पर्सेंटेज प्वाइंट की वृद्धि हुई।
  • 18 अक्टूबर तक के पखवाड़े में केवल 3.9 और 3.7 पर्सेंटेज प्वाइंट की बढ़ोतरी देखी गई और यह पहली-दूसरी खुराक वयस्क आबादी के 74 फीसदी और 30 फीसदी पर लग पाई।
  • साफ है कि टीकाकरण की रफ़्तार धीमी हुई है। पिछले दो दिनों में तो 43-44 लाख टीके ही हर रोज लगाए गए।

ऐसे लोगों को तीसरे डोज की जरूरत

अक्टूबर महीने में टीकाकरण की रफ़्तार कम हुई है और काफी पहले जिन्हें टीके लग गए हैं उनमें एंटी-बॉडी कमजोर पड़ने लगी है। यानी ऐसे लोगों के लिए तीसरी खुराक जरूरी हैं।

100 करोड़वें टीके तक का सफरनामा

  • पहला टीका- 16 जनवरी 2021
  • एक करोड़ टीके- 13 फरवरी 2021
    -10 करोड़ टीके- 10 अप्रैल 2021
  • 25 करोड़ टीके- 18 जून 2021
  • 50 करोड़ टीके- 12 अगस्त 2021
  • 75 करोड़ टीके- 15 सितंबर 2021
  • 100 करोड़ टीके- 21 अक्टूबर 2021

वैक्सीन लगाने वाले टॉप 10 राज्य

राज्य पहली खुराक दूसरी खुराक

  • उत्तर प्रदेश 9.43 करोड़ 2.78 करोड़
  • महाराष्ट्र 6.43 करोड़ 2.88 करोड़
  • पश्चिम बंगाल 4.97 करोड़ 1.87 करोड़
  • गुजरात 4,41 करोड़ 2,35 करोड़
  • मध्य प्रदेश 4,94 करोड़ 1,77 करोड़
  • बिहार 4,80 करोड़ 1,54 करोड़
  • कर्नाटक 4,12 करोड़ 2,05 करोड़
  • राजस्थान 4,21 करोड़ 1,88 करोड़
  • तमिलनाडु 3,94 करोड़ 1,44 करोड़
  • आंध्र प्रदेश 3,10 करोड़ 1,75 करोड़

दायरा बढ़ाना होगा

भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन सिर्फ एक तिहाई वयस्क ही पूरी तरह वैक्सीनेट हुए हैं। यह ध्यान रखना बेहद जरूरी है। वायरस लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है। उस पर काबू रखने के लिए हमें वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ाना होगा।
-डॉ. गगनदीप कंग, वैक्सीन एक्सपर्ट, क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर

दोनों खुराक के बाद ही पूरा प्रोटेक्शन

हम उस दिशा में जा रहे हैं, जहां ज्यादातर को संक्रमण या एक खुराक से सुरक्षा मिली हुई है। इसके बाद भी लंबे समय तक बचाव के लिए तीन-चौथाई आबादी को कम से कम एक खुराक मिलनी चाहिए। दोनों खुराक के बाद ही पूरा प्रोटेक्शन मिलता है। डॉ. चंद्रकांत लहरिया, महामारी विशेषज्ञ

  • कर्नाटक 4,12 करोड़ 2,05 करोड़
  • राजस्थान 4,21 करोड़ 1,88 करोड़
  • तमिलनाडु 3,94 करोड़ 1,44 करोड़
  • आंध्र प्रदेश 3,10 करोड़ 1,75 करोड़
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