हाल ही में हुए मोरबी पुल हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया, लेकिन अब गुजरात में चुनावी बिगुल बच चुका है। क्या मोरबी पुल हादसा बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा? आज बात इसी पर।
गुजरात में होने वाले विधानसभा के चुनावों में मोरबी पुल हादसा एक बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। हालही में कांग्रेस ने पूरे गुजरात में सभी जिलों में मोमबत्तियां जलाकर मृतकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की और आगे की रणनीति का इशारा भी कर दिया है। गुजरात में कांग्रेस ने परिवर्तन यात्रा के माध्यम से मोरबी में हुए पुल हादसे पर सरकार की नीतियों और भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा अभियान शुरू किया है।
गुजरात कांग्रेस के कन्वीनर और प्रवक्ता मनीष दोशी कहते हैं कि यह घटना कोई दैवीय आपदा नहीं है बल्कि सरकार का ठेकेदारों के साथ खुला भ्रष्टाचार है। सरकार और भ्रष्टाचारियों के बीच हुए आपसी समझौते के चलते ही हमारे प्रदेश के इतने लोगों की जाने चली गई और ना जाने कितने घर बर्बाद हो गए। मनीष दोशी कहते हैं कि सरकार अपने भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए सुरक्षाकर्मी और गेटकीपर जैसे सबसे निचले पायदान के कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर रही है। कांग्रेस के प्रवक्ता कहते हैं कि उनकी पार्टी गुजरात सरकार के भ्रष्टाचार को छोड़ने वाली नहीं है।
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने डोर टू डोर चल रही कैंपेनिंग में इस बात को पुरजोर तरीके से जनता के सामने रखने को कहा है। इसके अलावा जो भी बड़ी चुनावी रैलियां होंगी या ज्यादा से ज्यादा लोगों से संपर्क करने के लिए जब कांग्रेस के नेता पहुंचेंगे वहां पर भी सरकार की लापरवाही और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया जाएगा।
मोरबी में हुई घटना को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरी रणनीति बनानी शुरू की है। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने प्रदेश कार्यकारिणी की नेताओं के बीच इस संबंध में बैठके भी हो चुकी हैं। गुजरात कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने बाकायदा भारतीय जनता पार्टी सरकार को घेरने के लिए ब्लॉक स्तर तक के नेताओं को निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहत यह कहा गया है कि कांग्रेस के कार्यकर्ता जहां जहां जाए वहां गुजरात सरकार के भ्रष्टाचार की बात जरूर करें।