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विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट : भारत को छोड़ पूरी दुनिया में इस साल आएगी मंदी

विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट भारत को छोड़ पूरी दुनिया में इस साल आएगी मंदी

नई दिल्ली। ग्लोबल स्तर पर मंदी की आशंका के कारण कई कंपनियां बंद हो चुकी हैं। बैंकिंग सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ा है। वहीं आईटी सेक्टर से ज्यादातर कंपनियों ने कर्मचारियों को निकाला है। इस बीच एक ऐसा डेटा सामने आया है, जो वाकई डरावना है। इस साल अमेरिका, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड और कनाड़ा जैसे देशों में भारी मंदी का अनुमान है। हालांकि इस डेटा में भारत को बड़ी राहत मिली है। भारत में मंदी की संभावना शून्य है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के डाटा के अनुसार, सबसे ज्यादा मंदी का असर ब्रिटेन में दिखने का अनुमान है। यहां मंदी के 75 फीसदी रहने का अनुमान है। इसके बाद दूसरे नंबर पर न्यूजीलैंड है, जहां मंदी का 70 फीसदी असर हो सकता है। अमेरिका इस मामले में तीसरे नंबर पर रहेगा, जहां मंदी का असर 65 फीसदी होने की संभावना है।
फ्रांस में भी मंदी का असर होने की संभावना हैं, क्योंकि यहां भी कई कंपनियां आर्थिक कमी के कारण प्रभावित हुई हैं। फ्रांस में 50 प्रतिशत मंदी का असर हो सकता है। वहीं कनाडा में 60 फीसदी, इटली में 60 फीसदी और जर्मनी में भी 60 फीसदी मंदी का असर दिख सकता है।
दुनिया में मंदी के अनुमान डेटा के मुताबिक, सिर्फ भारत ही एक ऐसा देश है, जहां मंदी नहीं रहने वाली है। दुनियाभर में आपूर्ति व्यवस्था में हो रहे बदलाव से भारत व उसके जैसी अर्थव्यवस्था वाले देशों को लाभ होगा। वहीं इंडो​नेशिया में मंदी ​का असर सिर्फ 2 फीसदी और सऊदी अरबिया में यह अनुमान 5 फीसदी का है।

किस देश पर मंदी का कितना पड़ेगा असर
-साउथ अ​फ्रीका में 45 फीसदी मंदी की संभावना
-अस्ट्रेलिया में 40 फीसदी मंदी की संभावना
-रूस में मंदी की संभावना 37.5 फीसदी
-जापान में मंदी की संभावना 35 फीसदी
-साउथ कोरिया में मंदी की उम्मीद 30 फीसदी
-मेक्सिको में मंदी की संभावना 27.5 फीसदी
-स्पेन में यह 25 फीसदी रहने की उम्मीद है
-स्विट्जरलैंड में मंदी का असर 20 होने की संभावना
-ब्राजील में 15 फीसदी और चीन में 12.5 फीसदी मंदी का अनुमान
-भारत में मंदी नहीं होने का अनुमान

अर्थशास्त्रियों के अलग-अलग विचार
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए सर्वे में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि और महंगाई की स्थिति विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक रूप से अलग-अलग होगी। दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों के वैश्विक अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को लेकर अलग-अलग विचार हैं। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वैश्विक स्तर पर मंदी इस साल आने की आशंका है, जबकि कुछ इससे सहमत नहीं हैं। यह सर्वे डब्ल्यूईएफ से जुड़े मुख्य अर्थशास्त्रियों की राय के आधार पर तैयार किया गया है। ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि हाल में वित्तीय क्षेत्र में जो संकट आया है, वह व्यवस्था के स्तर पर कोई बड़ी समस्या नहीं है। हालांकि, इस साल बैंकों के विफल होने के और मामले सामने आ सकते हैं। आर्थिक नीति के मोर्चे पर 72 फीसदी अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगले तीन साल में विभिन्न देशों में सक्रियता के साथ औद्योगिक नीति को लागू करने का चलन बढ़ेगा।

बढ़ सकता है और बैंकों के डूबने का खतरा
ज्यादातर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि हाल में वित्तीय क्षेत्र में जो संकट आया है, वह व्यवस्था के स्तर पर कोई बड़ी समस्या नहीं है। हालांकि, इस साल बैंकों के विफल होने के और मामले सामने आ सकते हैं।
आर्थिक नीति के मोर्चे पर 72 फीसदी अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि अगले तीन साल में विभिन्न देशों में सक्रियता के साथ औद्योगिक नीति को लागू करने का चलन बढ़ेगा।

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