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जानिये कौन है इंदौर पुलिस के सिंघम | जो बचाते है आपको साइबर फ्रॉड से

जानिये कौन है इंदौर पुलिस के सिंघम | जो बचाते है आपको साइबर फ्रॉड से

आज के समय में हर व्यक्ति सोशल मीडिया (Social Media) के किसी ने किसी प्लेटफार्म से जरूर जुड़ा हुआ हम बात करें फेसबुक की ट्विटर ,इंस्टाग्राम की हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में इनसे कनेन्ट है लेकिन जितनी तेजी से हम इन प्लाटफॉर्म्स से कनेक्ट हो रहे है उतनी ही ताकत से इनके ऊपर क्राइम भी बढ़ता जा रहा है।

लोगों के अकाउंट हेक हो रहे हैं ब्लैक मेलिंग की घटनाएं बढ़ रही है ,इसी तरीके से यूपीआई (upi)पेमेंट की बात करें ऑनलाइन बैंकिंग की बात करें तो निश्चित रूप से लोगों की बैंकिंग (Banking) में सुगमता आई है मगर बावजूद इसके इनमें भी क्राइम बढ़ रहा है लोगों के बैंक अकाउंट (Bank Account)से पैसे उड़ाए जा रहे हैं या उडाए जा सकते हैं और इन सबके लिए आपको बहुत सावधानी की जरूरत पड़ती है।

आप इन साइबर फ्रॉड से कैसे बच सकते है इसका जवाब और इन सभी हम जोखिमों को आपको समझाने के लिए सुपरस्टार पुलिस ऑफिसर राजेश दंडोतिया (Rajesh Dandotiya) एडिशनल डीसीपी साइबर क्राइम (DCP CYBER CRIME) से खास बातचीत

कौन है राजेश दंडोतिया –

मप्र के मुरैना जिले मे जन्मे राजेश दंडोतिया वर्तमान में इंदौर में एडिशनल डीसीपी साइबर क्राइम के रूप में पदस्थ है। राजेश हमेशा से पुलिस में नहीं आना चाहते थे उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा मुरैना में ही की जिसके बाद उन्होंने परिवार जनों के कहने पर डॉक्टर बनने की पढ़ाई की और प्रयास भी किये लेकिन 12 के बाद उन्होंने स्नातक डिग्री ली और एमबीए की पढ़ाई भी की लेकिन उनकी रुची एमबीए में नहीं थी जो उन्होंने छोड़ दिया जिसके बाद उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी शुरू की और उन्होंने 16वी रैंक प्राप्त की और डीसीपी के लिए सिलेक्सन हुआ।

आईये अब जानते है कुछ सवालों का जवाब

सवाल – क्या आपको लगता है अगर आप डॉक्टर बन जाते तो ज्यादा अच्छा होता

जवाब – पुलिस के अलावा कुछ और बनता तो शायद मुझे सेटिस्फेक्शन नहीं मिलता मुझे लगता है कितना जबरदस्त इसका डाइमेंशन है और कितना कुछ करने को है पुलिस ऑफिसर होकर समाज के लिए, मैं अपनी नौकरी पूर्णतः खुश हूँ। में भाग्यशाली हूँ कि में पुलिस में आ पाया।

किस तरह के फ्रॉड आजकल ज्यादा सामने आ रहे है

जवाब– आजकल ज्यादातर फ्रॉड शॉपिंग से संबंधित होते है,जिसमें लुभावने ऑफर्स और भारी डिस्काउंट देने की बात कही जाती है ,इसके बाद आते है डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के फ्रॉड जिसमे यूजर से उसका ATM पिन या क्रेडिट कार्ड के सीवीवी कोड और ओटीपी ले लिया जाता है , इसके बाद आजकल एक नया फ्रॉड आ गया जिसको सेक्सटोरसन बोल जाता है जिसमे कोई महिला या लड़की आपसे वीडिओ काल करते है मेसेज भेजती है उसके बाद आपको ब्लैक मेल करती है, जॉब ओफर वर्क फ्रॉम होम के नाम पर भी आज कल नए फ्रॉड होना चालू हो गए है , नटराज पेंसिल की पॅकिंग के नाम पर भी फ्रॉड चालू हुआ है।

सवाल – सोशल मीडिया के फ्रॉड और साइबर फ्रॉड से कैसे बच जा सकता है ।

जवाब – विज्ञान और टेक्नॉलजी ने हमें सुविधाएं तो दी है लेकिन साथ ही अपराधियों को भी नए तरीके प्रदान किया है, हमे साइबर दुनिया में सावधानी रखने की जरूरत है, हम स्वयं ही इससे बच सकते है। जिस तरह हम सड़क पर गाड़ी सावधानी पूर्वक चलते है और जरा सी सावधानी हटने पर दुर्घटना घटित हो सकती है उसी प्रकार साइबर दुनिया की सड़क पर भी हमें अपनी गाड़ी देखकर,समझकर,और सावधानी पूर्वक चलनी है ,हमें अपनी हर साइबर गतिविधि को बहुत ही समझकर और चेक करके करना है ,चाहे वह होटल बुकिंग हो ,मनी ट्रांसफर,शॉपिंग ,या गेमिंग, हम लुभाने वाले ऑफर्स के झांसे में न आए सबसे ज्यादा फ्रॉड की शुरुआत लुभावने ऑफर्स से ही होती है।

हमें अपनी पर्सनल जानकारी कभी भी किसी से शेयर नहीं करने चाहिए क्यूंकि फ्रॉड की शुरुआत ही हमरी ही दी गई जानकारी से होती है।

सवाल – फ्रॉड करने वाले लोग क्यों आसानी से पकड़े नहीं जाते या कभी -कभी तो ट्रेस भी नहीं हो पाते है ।

जवाब – आज के समय क्राइम का तरीका बदल गया है पहले हिंसक क्राइम होते थे आज के समय में साइबर क्राइम ने ले ली है कोई व्यक्ति दिल्ली ,झारखंड ,बिहार में बैठकर कोई व्यक्ति सुबह से लेकर शाम तक इंदौर में अगर 200 लोगों को फ्रॉड करने के लिए काल करता है तो उसमें से 2 -4 लोग दिन भर में झांसे में आ ही जाते है , जिससे उनका दिनभर का 50 हजार से 1 लाख तक का काम हो जाता है , ये लोग लोगों को लालच देकर , भ्रमित कर फसाते है और लोग इस लालच मे फस जाते है।

ये सभी क्रिमिनल क्राइम लोकैशन से बहुत दूर होते है और अभी हमारे यहाँ साइबर क्राइम से तुरंत लड़ने का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बना है। बड़े शहरों में तो फिर भी साइबर थाने है लेकिन छोटी जिलों पर तो साइबर थाने तक नहीं है, स्टेट साइबर सेल के ऑफिस भी सिर्फ भोपाल, इंदौर,जबलपुर और ग्वालियर में है ,अगर कोई व्यक्ति साइबर फ्रॉड का शिकार हो जाता है तो उसे कम्प्लैन्ट लेकिन एसपी के पास ही जाना पड़ता है।

मान लीजिए अगर आज किसी व्यक्ती के साथ आज 20 हजार रुपये का फ्रॉड होता है तो जांच करने पर उसकी सिम असम की व्यक्ति बंगाल मे सिम इस्तेमाल कर रहा है , अकाउंट उसका दिल्ली का है या यूपीआई है और पैसा नासिक में निकाल जा रहा है ,हालांकि जिसके साथ फ्रॉड हुआ है उसके लिए 20000 कि राशि बहुत बड़ी है लेकिन इस 20000 की रकम को ट्रेस करने के लिए एक टीम को 10-15 दिन तक फील्ड में रहना पड़ेगा और क्राइम कि संख्या ज्यादा है , सिर्फ इंदौर में ही 30-35 शिकायत प्रतिदिन आती है, और हमारे पास उतना बाल या मशीनरी नहीं है जो इतने केसेस से निपट पाए या हर केस को पूरी तरह बंद किया जा सकें।

फिर भी जो सेन्सिटिव केस होते है उनको हम प्राथमिकता पर लेकर काम करते है और हमने बहुत से गैंग को पकड़ भी है।

सवाल – आप सेमीनार और शिक्षण संस्थानों में जाते है तो वहाँ आप क्या बताते है ।

जवाब – मेरी हमेशा कोशिश रहती है कि में आमजन को साइबर क्राइम के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूक कर सकूँ तो इसके लिए में स्कूल, कोचिंग, बैंकिंग संस्थान, एनजीओ और जहाँ पर भी जहाँ मुझे लोग संख्या में मिलते है में वह जाकर उनको साइबर फ्रॉड के प्रति जागरूक करने की कोशिश करता हूँ। जागरूक करने का ध्येय यह होता है कि जब भी इन लोगों को साइबर फ्रॉड का शिकार बनाने की कोशिश की जाए तो ये लोग मेरी द्वारा दी गई जानकारी को याद कर उससे जोड़ कर देखे और शिकार होने से बच सकें।

कुछ जगहों पर में साइबर फ्रॉड के साथ -साथ खासकर जहाँ युवा होते है वहाँ ड्रग्स और नशे के दुष्परिणाम भी बताता हूँ और युवाओ को जागरूक करता हूँ कि नशे के आपकी जिंदगी पर क्या दुशप्रभाव है और कुछ सेशन्स में स्टूडेंट्स के लिए लेता हूँ जिनमें स्टूडेंट्स के मेंटल स्टैटस को बेहतर करनी की कोशिश रहती है जैसे कि आज कल के युवाओ में बहुत जल्द निराश होकर कुछ भी फैसले लेने का चलन देखा गया है, जिस प्रकार अभी हाल ही में कोटा मे आत्महत्याओ का मामले सामने आयें है। मेरी कोशिश रहती इस तरह के स्टूडेंट्स को चिन्हित कर उनकी काउंसलिंग करना।

इन सभी कोशिशों का दूसरा उद्देश्य पुलिस और पब्लिक के बीच दूरियाँ कम करना है और आपस में परस्पर संवाद स्थापित करना है

सवाल – आप सोशल मीडिया पर बहुत ऐक्टिव रहते है क्या आपको गलेमर का शौक है ।

जवाब – युवाओ को यूनिफॉर्म से बड़ा लागव होता है और ज्यादातर युवा भी पुलिस या आर्मी या अन्य संस्थानों के माध्यम से देश की सेवा करना चाहते है में युवाओ को दिखाना चाहता कि पुलिस कि नौकरी में किस तरह की चुनोतियों का सामना करना पड़ता है किस प्रकार स्थितियों को संभालना पड़ता है।

में सोशल मीडिया के जरिए अपने बात आमजन तक पहुँचने और पुलिस के कार्य का तरीका देखने और समझने मौका मिलता है , जिससे वे बेझिझक हमसे अपनी बात कह पाते है और हमारे बीच संवाद होता है बहुत से लोग मुझे बहुत सारी जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से पहुंचते है , जैसे कही ड्रग्स की खरीद बिक्री हो रही है य किसी को कोई परेशान कर रहा है , तो लोगों का पुलिस के प्रति विश्वास और संवाद दोनों बढ़ते है ।

जन सुनवाई में अपने को लाइव रखता हु क्यूंकि मे बड़ा इरीटेट हो जाता था अब में लोगों के सामने लाइव रहता हु तो मुझे अपने आप में कॉमन्तरोल में रहना पड़ता है।

सवाल – कुछ दिन आपको पहले हार्ट अटैक आया था उसने आपकी जिंदगी को कितना बदल दिया ।

जवाब – मेरी परेन्टल हिस्ट्री है और मेरे पिता का स्वर्गवास भी हार्ट अटैक से हुआ था डॉक्टर ने बताया स्ट्रेस और अनियमित खान-पान की वजह से शरीर में छोटी-छोटी तब्दीलियाँ शुरू हो जाते है और हम जिन पर ध्यान नहीं देते जिसके बाद ये बड़ी बीमारी का रूप ले लेती है और मेरे केस मे हार्ट अटैक के ररोप में सामने आई।

में स्पोर्ट्स पर्सन रहा हु और अटैक के पहले तक ऐक्टिव रूप से क्रिकेट और अन्य गतिविधियों में शामिल रहता था , मेरिन इस फिटनेस की वजह से ही में इस अटैक को झेल पाया हूँ और अब कुछ दिन बाद फिर में वापस ग्राउन्ड पर पहुँचूँगा। लेकिन मेरे पहले के जीवन में और आज के जीवन में बहुत फर्क है , अब मेरे अंदर थकावट रहती है अब में उस तरह से कार्य नहीं कर पता जैसे पहले करता था। इस अटैक के बाद मेरे जीवन में बहुत से बदलाव आ गए है।

सवाल – इतनी भाग-दौड़ में आप अपने परिवार को कितना समय दे पाते है ।

जवाब – पुलिस की नौकरी में हम लोग अपने परिवार को काफी कम समय दे पाते है खासकर मेरी पत्नी भी पुलिस मे ही है और हम दोनों की पोस्टिंग हमेशा अलग-अलग शहरों में ही रही है , टो में तो अपने परिवार को बहुत कम समय दे पाता हूँ , हा इस बार जरूर हम दोनों कि ही पोस्टिंग एक साथ इंदौर में हो गई है , जिससे अब कुछ व्यक्त परिवार के साथ भी बिता पाता हूँ।

पुलिस की नौकरी में हम अपने परिवार को ज्यादा समय नहीं दे पाते है हमें समझोंता करना ही पड़ता है ।

सवाल – जिंदगी का वो पल जो आप कभी नहीं भूलना चाहते ।

जवाब – अटैक , में उसे ज़िंदगी मे कभी नहीं भूलना चाहता, इस घटना ने मेरे अंदर से मृत्यु का भय निकाल दिया है अब में वर्तमान को ध्यान में रखकर जीता हूँ , जो है आज है , अगले सांस का कोई भरोसा नहीं , जो है वो आज है।

सवाल – जिंदगी का वो पल जो आप भूलना चाहते ।

जवाब– अटैक , मे इस अटैक को भूलना भी चाहता हूँ , क्यूंकि मे इतना एनर्जेटिक और ऐक्टिव था अब जब भी में पूरी ऊर्जा के साथ काम करूंगा तो मुझे हमेशा डर रहेगा कि कही फिर अटैक न आ जाए तो ये मेरे दिमाग में हमेशा चलता रहेगा जो में नहीं चाहता और में उसे भूलना चाहूँगा।

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