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क्या है यूनिफॉर्म एजुकेशन? आखिर क्या चेंजेस आएंगे इससे एजुकेशन में, आईए जानते है।

क्या है यूनिफॉर्म एजुकेशन? आखिर क्या चेंजेस आएंगे इससे एजुकेशन में, आईए जानते है।

फिलहाल देश में बहुत से एजुकेशन बोर्ड है जिनकी पढ़ाई अलग अलग है इससे बच्चो की पढ़ाई पर फर्क पड़ता है।बता दे की तकरीबन पूरे देश में 60 से ज्यादा एजुकेशन बोर्ड हैं. जिनमे करोड़ों छात्र पढ़ते हैं बोर्ड की परीक्षा पास करने के बाद सभी छात्र राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं में हिस्सा लेते हैं.पर इन परीक्षाओं का पैटर्न पूरे देश के लिए एक जैसा होता है. फिर बोर्ड का करीकुलम अलग क्यों?

सरकार की तरफ से क्या कदम उठाए गए इसके लिए।

बता दे की नीट, जेईई, सीयूईटी के बाद अब बोर्ड एग्जाम में बड़ा बदलाव होने जा रहा है.जैसे की इन सब एग्जाम के लिए सभी बच्चो के लिए एक जैसा पेपर होता है। पर हर बोर्ड की पढ़ाई अलग अलग होने से बच्चो को एग्जाम में कठिनाई होती है। वही किसी बच्चे को इससे फायदा होता है तो किसी को नुकसान, बोर्ड परीक्षाओं को एक समान बनाने के केंद्र के प्लान पर बीते कुछ महीनों से काम चल रहा है.

जिसके तहत नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग यानी एनसीईआरटी ने राज्यों के स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग यानी एससीईआरटी के साथ कई मीटिंग की है. इन बैठकों के निष्कर्ष स्वरूप एक नया असेसमेंट रेगुलेटर बनाया जा रहा है, जिसका नाम है.PARAKH यानी परफॉर्मेंस असेसमेंट, रिव्यू एंड एनालिसिस ऑफ नॉलेज फॉर होलिस्टिक डेवलपमेंट. ये संस्था एनसीईआरटी के एक अंग के रूप में काम करेगी. नेशनल अचीवमेंट सर्वे यानी NAS और स्टेट अचीवमेंट सर्वे SAS कराने की जिम्मेदारी भी परख की ही होगी. परख राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) का भी हिस्सा है।

कई स्कूल माफिया एक राष्ट्र-एक शिक्षा बोर्ड नहीं चाहते

दिल्ली हाईकोर्ट में इसके लिए याचिका भाजपा नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की है। उन्होंने आरोप लगाया कि स्कूल माफिया एक राष्ट्र-एक शिक्षा बोर्ड नहीं चाहते, कोचिंग माफिया एक राष्ट्र-एक पाठ्यक्रम नहीं चाहते हैं और पुस्तक माफिया सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें नहीं चाहते हैं। यही कारण है कि देश में अब तक 12वीं कक्षा तक के लिए एक समान शिक्षा प्रणाली लागू नहीं की गई है। उन्होंने आगे कहा कि देश में वर्तमान शिक्षा प्रणाली ईडब्ल्यूएस, बीपीएल, एमआईजी, एचआईजी और अभिजात वर्ग के बीच समाज को विभाजित तो कर ही रही है साथ ही साथ यह देश में समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्र की अखंडता के भी खिलाफ है।

शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है।अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा कि भले ही इस असमानता को पूरी तरह से दूर नहीं किया जा सकता लेकिन सरकार कॉलेज और विश्वविद्यालयों में एक मानक प्रवेश प्रणाली की स्थापना कर सकती है। इससे सभी को कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश के समान अवसर मिलेंगे। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। इसलिए, यह समान स्तर और समान मानक पर आधारित होना चाहिए, न कि बच्चे की सामाजिक आर्थिक स्थितियों पर।

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