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Vasant Panchmi 2021: इस दिन हुआ था देवी सरस्वती का प्राकट्य, जानिए वसंत पंचमी का महत्व

Vasant Panchmi 2021: हिंदू धर्म में वर्षभर त्यौहारों का सिलसिला चलता रहता है। विभिन्न तिथियों पर उनकी शुभता और उनके महत्व के आधार पर कर्मकांड का आयोजन किया जाता है और शुभ फल की प्राप्ति की जाती है। ऐसी ही एक शुभ फल देने वाली तिथि वसंत पंचमी है, जिसका धर्मशास्त्रों में काफी महत्व बतलाया गया है। वसंत पंचमी को ऋतु परिवर्तन होता है और देवी सरस्वती की आराधना कर ज्ञान की प्राप्ति की जाती है।

वसंत पंचमी को हुआ था देवी सरस्वती का प्राकट्य

वैदिक ग्रंथों के अनुसार वसंत पंचमी का पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। देवी भागवत के अनुसार इस तिथि को संगीत, काव्य, कला, शिल्प, रस, छंद और शब्द शक्ति जिह्वा को प्राप्त हुई थी। वसंत पंचमी को श्री पंचमी, ऋषि पंचमी, मदनोत्सव, वागीश्वरी जयंती और सरस्वती पूजा उत्सव भी कहा जाता है। वसंत पंचमी को देवी रति और भगवान कामदेव की षोडशोपचार पूजा करने का भी विधान है।

ब्रह्माजी ने किया था सृष्टि का निर्माण

भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्माजी ने जब सृष्टि का निर्माण प्रारंभ किया तो सर्वप्रथम उन्होंने मनुष्य योनि की रचना की, परन्तु ब्रह्माजी अपने सृजन से संतुष्ट नहीं थे, क्योंकि सृष्टि में जीवों में प्राणों का संचार तो हो रहा था, लेकिन सर्वस्व मौन छाया हुआ था। इस सन्नाटे को समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्माजी ने पृथ्वी पर जल छिड़का। इससे पृथ्वी पर कंपन होने लगा और एक अद्भुत शक्ति का प्राकट्य हुआ। छह भुजाओं वाली इस देवी के एक हाथ में पुस्तक, दूसरे में पुष्प, तीसरे और चौथे हाथ में कमंडल और बाकी के दो हाथों में वीणा और माला थी।

देवी सरस्वती ने दी थी जीवों को वाणी

ब्रह्माजी ने देवी से वीणा के सुर छेड़ने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी की वीणा से निकले मधुर स्वर वातावरण में गूंजे, चारों ओर ज्ञान का प्रकाश फैला और उत्सवी माहौल का सृजन हो गया। ज्ञान की लहरियों को ऋषिचेतना ने संचित कर लिया। इस तरह से संसार के समस्त जीव-जंतुओं को वाणी की प्राप्ति हो गई। वाणी का वर प्रदान करने के कारण ब्रह्माजी ने देवी को वाणी की देवी सरस्वती का नाम दिया।

इस दिन पीले रंग का है विशेष महत्व

इस दिन पीले रंग का खास महत्व है और देवी की आराधना पीले रंग के वस्त्र पहनकर करने का विधान है। यह समय फसलों के पकने का होता है। खेतों में सुनहरी गेहूं की बालियों की बहार छाई रहती है और सरसों के पीले फूल की छटा से खेत सराबोर रहते हैं।

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