महाराजगंज. महाराजगंज जिले में दस माह के अंदर अज्ञात कारणों से 111 शिशुओं की मौत को जिलाधिकारी महाराजगंज ने गंभीरता से लिया है. जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में मामला उजागर होने के बाद डीएम सत्येन्द्र कुमार ने शिशुओं की मौत की समीक्षा करने का आदेश दिया है. बड़ी संख्या में शिशु मृत्यु के आंकड़े हैरान करने वाले हैं. बच्चों की मौत के रहस्य से पर्दा हटाने के लिए डीएम ने सीडीओ, एसडीएम और सीएमएस के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी बनाकर समीक्षा करने का आदेश दिया है।
गर्भवती महिलाओं के दूध में पाए गए कीटनाशक
उधर, प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित क्वीन मैरी अस्पताल में बीते दिनों की गई एक रिसर्च से पता चला है कि गर्भवती महिलाओं के दूध में कीटनाशक पाए गए. 130 शाकाहारी और मांसाहारी गर्भवती महिलाओं पर केजीएमयू के स्त्री और प्रसूति अस्पताल ने ऐसी प्रेग्नेंट महिलाओं पर स्टडी की थी.
सामने आई ये वजह
एनवायरमेंटल रिसर्च जनरल में पब्लिश यह अध्ययन प्रोफेसर सुजाता देव, डॉक्टर अब्बास अली मेहंदी और डॉक्टर नैना द्विवेदी द्वारा किया गया. डॉक्टर सुजाता ने बताया कि शाकाहारी महिलाओं के दूध में मांसाहारियों की अपेक्षा कम कीटनाशक पाए गए. हालांकि, मांसाहार से दूर रहने वाली महिलाओं के ब्रेस्ट मिल्क में फिर भी कीटनाशक पाए गए हैं और दूध में कीटनाशक पाए जाने का कारण केमिकल फार्मिंग है. उनमें कीटनाशक चीजों का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है. तरह-तरह के पेस्टीसाइड और केमिकल्स हरी सब्जियों और फसलों में डाले जाते हैं.
स्तनपान से शिशु तक पहुंच रहे केमिकल
डॉक्टर सुजाता ने बताया कि मांसाहारी महिलाओं में इसकी वृद्धि ज्यादा पाई गई है. वह भी साढ़े तीन गुना ज्यादा. मांसाहार भक्षण करने वाली महिलाओं के दूध में ज़्यादा मात्रा में कीटनाशक मिले हैं, क्योंकि आजकल जानवरों में भी तरह तरह के इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं. इसी वजह से मां के दूध में कीटनाशक बन रहे हैं और इन्हीं सब चीजों को लेकर हमने यह पता लगाना चाहा कि क्या मां द्वारा कराए जा रहे स्तनपान से शिशु में भी कीटनाशक पहुंच रहा है? और जब 130 महिलाओं पर अध्ययन किया गया तो पाया गया कि शिशु को जन्म देने के बाद मां के दूध में कीटनाशक मौजूद थे. इससे यह साफ हो गया कि भले ही शिशु जन्म लेने के उपरांत कुछ माह तक अनाज या किसी अन्य पदार्थ का सेवन न करे, लेकिन वह मां के दूध के माध्यम से कीटनाशक को अपने शरीर में ले रहे हैं.