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भाजपा नेताओं की गुटबाजी से भी भितरघात का अंदेशा

बुरहानपुर। जिले की राजनीती एक दशक से भाजपा गुटबाजी में बटी,बटी दिखाई दे रही है, कभी दाढ़ी और साड़ी के स्लोगन के बूते पार्टी को घड़े में बंटते मतदाता कार्यकर्ताओ ने पड़ा और सुना है। तो कभी बड़े नेताओं की गुटबाजी को लेकर चर्चा आम बात रही है।

वर्तमान परिदृश्य लोकसभा के उपचुनाव का है और सत्ताधारी पार्टी एव संगठन में अंदर ही अंदर गुटबाज़ी में बढ़ोतरी के आसार साफ देखकर लग रहा है, जहा संगठन के प्रति नजरे और नजरिया ठीक नही है। इन दिनों भाजपा छोटे कार्यकर्ताओं बूथ समिति कार्यकर्ताओ को कमजोर नेतृत्व वाला समझकर उनकी उपेक्षा कर रहा है। भाजपा के जिले के वरिष्ठों को यह नही भूलना चाहिए की पार्टी की जड़ की मजबूत कार्यकर्ताओं से है। भाजपा के वरिष्ठ नेताओ को सावधान रहना चाहिए, पदो पर पदासीन नेताओ से जो दो,गुटों के बाद तीसरा गुट खड़ा कर चुनावी तैयारी को पार लगाने के बजाय घर मे छेदकर सफर को रोकने या कमजोर करने की चेष्ठा कर रहा है

भाजपा तीसरा गुट भी तैयार हो गया

हाथ में लेने का दमभर फोटो में दिखने का प्रयास करता दिख रहा है। वह इन दिनों कार्यकर्ताओं को कमजोर नेतृत्व क्षमता वाला दिखाने का षड्यंत्र नही चला रहा है। किस मंसूबे से संगठन के प्रदेश के वरिष्ठ नेताओ के मन में निराशा का भाव पैदा कर चुनावी सूत्र अपने में हाथ में रख, अपनी ताकत में इजाफा कर तीसरा गुट तैयार करने में लगा है। इसको सहयोग में ऐसा कोनसा वर्ग खड़ा हो गया है। जिसमे संगठन को 2018 विधानसभा चुनाव में कमल चिन्ह का शत्रु बना दिया था निर्दलीय, टैक्टर की धूल से कमल को नुकसान पहुंचा था।

प्रदेश संघटन नेता मायाजाल में

अगर भाजपा के प्रदेश संगठन इन नेता के मायाजाल से निकलकर, छोटे कार्यकर्ताओं अनदेखी नही करे तो अच्छा परिणाम सामने आएगा ! अगर इस चुनावी माहौल में संगठन के वरिष्ट नेताओ ने यह प्रश्नवाचक चिन्ह नही सोचा तो समय के साथ देर हो जायेगी । जिससे भाजपा पार्टी को नुकसान ना उठाना पड़े जिससे भाजपा पार्टी प्रत्याशी मिलनसार हँसमुख ज्ञानेश्वर पाटिल दादा दयालु को नही उठाना पड़ जाते। भाजपा के प्रदेश संगठन के बुद्धिजीवी वर्ग ने चुनावी भागदौड़ सम्भाल रही है पर चुनावी माहौल बनाने में असमर्थ दिखाई दे रहे है।

बुरहानपुर से मृदुभाषी के लिए गौरव शुक्ल की खास रिपोर्ट

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