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लावारिस पड़ी हुई मूर्तियों के लिए मृदुभाषी ने उठाई आवाज़, पुरातत्व विभाग ने लिया सज्ञान

बड़वानी। किसी भी समाज और देश का इतिहास उसकी संस्कृति और सभ्यता का प्रमाण होता है। इसी कड़ी में काम करते हुए मृदुभाषी ने भारतीय संस्कृति की बेशकीमती धरोहर को बचाने में और इसे पुरातत्व विभाग के ध्यान में लाने में बड़ा योगदान दिया है।

मप्र के बड़वानी से केवल 40 किलोमीटर दूर फुलज्वारी गाँव और वज़र गांव के पास खुली जगह में बेशकीमती मुर्तिया बहोत दिनों से पड़ी हुई थी। जिनकी उपयोगिता को देखते हुए मृदुभाषी ने इस मुद्दे को अपनी खबरों में प्रमुखता से उठाया था। जिसके बाद पुरातत्व विभाग ने मामले में संज्ञान लिया हैऔर राष्ट्रकुट शैली से बने इन अद्भुत मूर्तियों का निरिक्षण किया।

मृदुभाषी की खबर से पुरातत्व विभाग एक्शन में प्रदेश

पुरातत्व विभाग की टीम का नेतृत्व कर रहे अधिकारी डॉ डी.पी पांडे का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण 11वीं और 12वीं शताब्दी के बीच हुआ होगा। यहाँ पर त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मुर्तियां मौजूद है। जिसमें भी ब्रम्हा और वराह अवतार की प्रतिमा काफी बेशकीमती है। साथ ही डॉ डी.पी पांडे ने कहा की इस स्थान को साइंटिफिक पद्धति से स्टडी करवाने की जरुरत है, क्योंकि यहां पुरातत्व के अन्य दूसरे बड़े अवशेष भी मिल सकते हैं। किसी भी समाज की धरोहरों का खोना उसका इतिहास होना और अपने वजूद की जड़ों को खोना है। इसी बात को ध्यान में रख कर मृदुभाषी ने लावारिस पड़ी हुई इन बेशकीमती मूर्तियों के लिए आवाज़ उठाई थी। जिसका असर भी अब पर देखने को मिला है।

बड़वानी से मृदुभाषी के लिए तरुण कुमार गोले की रिपोर्ट

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