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Sheetala Ashtami 2023: शीतला अष्टमी या बसोड़ा पर घर की अशांति और बीमारियों से मुक्ति के लिए इस दिन करें ये उपाय

Sheetala Ashtami 2023: मान्यता है कि शीतला अष्टमी या बसोड़ा के दिन माता शीतला की विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से घर पर रोग-दोष, बीमारी, महामारी का खतरा नहीं रहता. साथ ही घर पर सुख-शांति भी बनी रहती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माता शीतला को चेचक रोग से मुक्ति की देवी भी माना गया है

शास्त्रों से जानें कौन हैं माता शीतला, क्या है इनकी महिमा? - know the  significance of sheetla ashtami in hindu religion

शीतला अष्टमी का पर्व होली के एक हफ्ते बाद यानी आठवें दिन मनाया जाता है. इस पर्व की विशेषता यह है कि इस दिन माता को बासी पकवानों का भोग लगाया जाता है. यानी मां को भोग लगाने के लिए पकवानों को सप्तमी तिथि को ही तैयार कर लिया जाता है. घर पर भी इस दिन सभी लोग बासी भोजन ही करते हैं. शीतला अष्टमी पर ताजा या गर्म भोजन करना वर्जित माना जाता है. इन नियमों का पालन करने से माता शीतला का आशीर्वाद प्राप्त होता है और बीमारियों से मुक्ति मिलती है. जानते हैं शीतला अष्टमी की तिथि, मुहूर्त, महत्व, पूजा विधि और उपाय.

गुरु द्रोण द्रुपद पुत्र धृष्टघुम्न द्वारा वीरगति को प्राप्त हुए थे

पौराणिक कथाओं के अनुसार, गुरु द्रोण की नगरी गुरुग्राम में गुरु कृपाचार्य की बहन और महर्षि शरद्वान की पुत्री शीतला देवी के नाम से पूजा होती है। महाभारत के युद्ध के समय जब गुरु द्रोण द्रुपद पुत्र धृष्टघुम्न द्वारा वीरगति को प्राप्त हुए थे तब उनकी पत्नी कृपि भी उनके साथ सती हो गई थीं। अपने पति के साथ चिता पर बैठते हुए कृपि ने लोगों को आशीर्वाद दिया कि इस सती स्थल पर जो भी मनोकामना लेकर आएगा, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी।

देवी हर कष्टों से छुटकारा दिलाती हैं

गुरुग्राम के शीतला माता मंदिर साल भर में करीब 15 और 18 लाख श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर में लाल रंग का दुपट्टा और मुरमुरा प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। माना जाता है कि देवी हर कष्टों से छुटकारा दिलाती हैं। माता शीतला के मंदिर में हर साल शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी के दिन भक्तों की भीड़ लगी रहती है। हजारों की संख्या में भक्त यहां माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। बच्चे किसी भी तरह की नकारात्मक ऊर्जा से दूर रहें इसलिए यहां बच्चों का मुंडन भी कराया जाता है।

शीतला अष्टमी तिथि व मुहूर्त (Sheetala Ashtami 2023 Muhurat)

चैत्र माह कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि प्रारंभ: 14 मार्च 2023, रात 08:22
चैत्र माह कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि समाप्त: 15 मार्च 2023, शाम 06:45
बसोड़ा पर माता शीतला की पूजा के लिए 15 मार्च सुबह 06:30 से शाम 06:29 का समय शुभ रहेगा.
शीतला अष्टमी 2023 पूजा विधि (Sheetala Ashtami 2023 Puja Vidhi)

शीतला अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कर साफ कपड़े पहन लें. इसके बाद पूजाघर में दीपक जलाएं. हाथ में फूल, अक्षत, जल और दक्षिणा लेकर व्रत का संकल्प लें. माता शीतला की पूजा के लिए एक चौकी तैयार करे और इसमें माता की प्रतिमा स्थापित करें. माता को रोली, लाल फूल, अक्षत, अर्पित कर धूप-दीप प्रज्जवलित करें. सप्तमी तिथि में तैयार किए दही, रबड़ी, चावल से बने पकवानों का भोग माता शीतला को लगाए. पूजा में शीतला स्त्रोत का पाठ जरूर पढ़ें और फिर आखिर में आरती करें.

शीतला अष्टमी 2023 उपाय (Sheetala Ashtami 2023 Upay)

शीतला अष्टमी के दिन पूजा में माता को जल अर्पित करते समय कलश में थोड़ा जल बचा लें और माता शीतला का ध्यान करते हुए इस जल को पूरे घर के कोने और सभी जगहों पर छिड़कें. इससे घर में सुख शांति आती है.
मनोकामना पूर्ति के लिए शीतला अष्टमी पर पूजा में माता को कुमकुम, अक्षत और लाल रंग के फूल जरूर चढ़ाएं. इससे आपकी सभी मनोकामना पूरी होगी और रोग-बीमारियां घर से दूर रहेगी.
घर पर सुख शांति बनी रहे इसके लिए शीतला माता की पूजा में ‘वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्‌,मार्जनीकलशोपेत…” मंत्र का जाप करें.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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