समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए लगाई गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अब 18 अप्रैल को सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक बेंच के गठन का फैसला लिया है। 5 जजों की बड़ी बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ताओं ने इस मामले की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग करने की मांग की है। उनका कहना है कि यह मामला देश से जुड़ा हुआ है इसलिए देश को पता होना चाहिए कि क्या सुनवाई चल रही है.
केंद्र सरकार ने किया विरोध
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने पूछा कि इस मामले पर केंद्र का क्या कहना है? केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली अर्जियों का विरोध करते हुए भारत की परंपरा का जिक्र किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि समलैंगिक शादी को मान्यता देने की बात परिवार की भारतीय अवधारणा के ही खिलाफ है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि समलैंगिक विवाह के बाद विवाहित जोड़ा एक बच्चे को गोद लेता है तो उस बच्चे की मानसिक अवस्था क्या होगी ये भी समझने की जरूरत है? क्योंकि एक बच्चा महिला को मां के तौर पर और पुरुष को पिता के नजरिए से देखता है.केंद्र ने इस मामले पर सुप्रीम में 56 पेज का हलफनामा दाखिल किया था.
याचिका को खारिज कर देना चाहिए – केंद्र सरकार
हलफनामे में आगे कहा गया कि मेरिट के आधार पर भी उसे खारिज किया जाना ही उचित है. कानून में उल्लेख के मुताबिक भी समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दी जा सकती. क्योंकि उसमे पति और पत्नी की परिभाषा जैविक तौर पर दी गई है. उसी के मुताबिक दोनों के कानूनी अधिकार भी हैं. समलैंगिक विवाह में विवाद की स्थिति में पति और पत्नी को कैसे अलग-अलग माना जा सकेगा?.इससे पहले सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि यह मामला संसद के अधिकार क्षेत्र में है. इसलिए मामले में संसद में ही बहस हो सकती है.