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Shardiya Navratri Third Day 2021: देवी चंद्रघंटा से मिलता है सौम्यता और आरोग्य का वरदान, जानिए महत्व और पूजा विधि

Shardiya Navratri Third Day 2021: 9 सितंबर शनिवार को शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन है। इस दिन देवी चंद्रघंटा की आराधना की जाती है। शास्त्रों में शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन की पूजा का अत्याधिक महत्व है। आइए जानते हैं माता चंद्रघंटा के महत्व और पूजाविधि के बारे में।

दस भुजाओं वाली है माता

माता चंद्रघंटा का स्वरुप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी है। देवी की सवारी बाघ है और इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला है। देवी के मस्तक पर अर्धचंद्र विराजमान है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। देवी दस भुजाओं वाली है और उनके दसों हाथ विघ्वंसक शस्त्रों से विभूषित है। माता के गले में श्वेत पुष्पों की माला सुशोभित रहती हैं। देवी की घंटे के समान भयानक ध्वनि से अत्याचारी दानव, दैत्य और राक्षस सदैव भयभीत रहते हैं।

देवी से मिलता है आरोग्य का वरदान

देवी भक्तों के कष्टों का विनाश करती है। प्रेत-बाधादि से रक्षा करती है। देवी की आराधना से भक्त को चिरायु, आरोग्य, सुखी और संपन्न होने का वरदान प्राप्त होता है। माता की उपासना से साधक के समस्त पाप और बाधाएं नष्ट हो जाती है। क्रोध पर नियंत्रण करने के लिए भक्त को मां चंद्रघंटा की भक्ति करना चाहिए। माता चंद्रघंटा की आराधना से सौम्यता एवं विनम्रता का भी विकास होता है। शरीर का विकास होता है और तेज बढ़ता है।

पूजा विधि एवं आराधना मंत्र 

देवी चंद्रघंटा की प्रतिमा को शुद्ध जल और पंचामृत से स्नान कराएं। सुगंधित फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर, समर्पित करें। केसर-दूध से बनी मिठाइयां या खीर का भोग लगाएं। देवी को श्वेत कमल, लाल गुडहल और गुलाब की माला समर्पित करें और देवी का ध्यान करते हुए इस मंत्र का जाप करें।

या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नमः।”

पिंडजप्रवरारूढा, चंडकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं, चंद्रघंटेति विश्रुता।।

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