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Shardiya Navratri 7th Day: भयानक स्वरूप की है देवी कालरात्रि, इनसे मिलता है अभय का वरदान

Shardiya Navratri 7th Day: देवी भगवती का प्रिय नवरात्रि पर्व अपने चरम पर और अंतिम चरण में चल रहे हैं। 12 अक्टूबर मंगलवार को नवरात्रि का सातवां दिन रहेगा। इस दिन मां कालरात्रि की पूजा का विधान है। आइए जानते हैं नवरात्रि की सप्तमी तिथि का महत्व और पूजा विधान।

पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार रक्तबीज नाम का एक दानव था। उसको यह वरदान प्राप्त था कि उसके लहू की बूंदे जब धरती पर गिरती थी तो हर बूंद से एक नया रक्तबीज जन्म ले लेता था। यह दानव बल में रक्तबीज के समान ही होता था। ऐसे में मां कालरात्रि ने रक्तबीज का वध करते हुए उसकी गर्दन काटकर उसको खप्पर में रख लिया था। इससे रक्त की बूंदें नीचे नहीं गिरी और मां रक्तपान करती गई। इस तरह से देवी ने रक्तबीज का अंत किया।

मां कालरात्रि का स्वरूप

नवरात्रि की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है। देवी का वर्ण घने अंधकार की तरह काला है। देवी का रूप भयानक है। उनके सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला वह धारण किए हुए हैं। काल से भी रक्षा करने वाली देवी को अंधकार का नाश करने वाला माना जाता है। माता त्रिनेत्रों वाली है। इनकी श्वांस से अग्नि निकलती है।

अभय देने वाली है मां

माता की सवारी गर्दभ की है और वह दाहिने हाथ से वर मुद्रा में भक्तों को वर देती है। दाहिनी ही तरफ का नीचे वाला हाथ अभय मुद्रा में है। देवी के बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग है। देवी भयानक रूप में भक्तों को सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं। माता की भक्ति से भक्तों को अभय की प्राप्ति होती है। माता के स्मरण मात्र से दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत भयभीत होकर भाग जाते हैं।

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