नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद से सबसे बड़ा सवाल उठने लगा है कि वहां की सत्ता को अब कौन चुनौती दे सकता है। इस बीच मुजाहिदीन के पूर्व कमांडर और सांसद अब्दुल रसूल सय्यफ के नाम चर्चा में आया है। अब्दुल रसूल सय्यफ को एक संभावित नेता के रूप में देखा जा रहा है जो तालिबान विरोधी ताकतों का नेतृत्व कर सकता है। सय्यफ का भारत के साथ कनेक्शन रहा है, खासकर राजनयिकों और सुरक्षा अधिकारियों के बीच में।
पश्तून नेता है अब्दुल रसूल सय्यफ
70 के दशक के जाने माने नेता अब्दुल रसूल सय्यफ की गिनती इस्लामी विद्वान के साथ-साथ एक पश्तून नेता के तौर पर होती रही है। घटनाक्रम से परिचित लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि सय्यफ अफगानिस्तान में तालिबान विरोधी ताकतों को एक साथ ला सकते हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अफगानिस्तान में अशरफ गनी सरकार के पतन और अगस्त के मध्य में तालिबानियों की ओर से काबुल पर कब्जा जमाने के बाद से वह भारत में रह रहे हैं। लोगों ने कहा कि तालिबान विरोधी ताकतों के नेतृत्व के लिए सय्यफ का नाम आगे बढ़ाया गया है क्योंकि कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे और अफगानिस्तान के राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा के संस्थापक अहमद मसूद को तालिबान विरोधी ताकतों को एकजुट करने में ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई है।