पं. धीरेन्द्र का शिष्य, यजमान की पत्नी को लेकर भागा, पति ने पुलिस से मांगी मदद - Mradubhashi - MP News, MP News in Hindi, Top News, Latest News, Hindi News, हिंदी समाचार, Breaking News, Latest News in Hindi
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पं. धीरेन्द्र का शिष्य, यजमान की पत्नी को लेकर भागा, पति ने पुलिस से मांगी मदद

पं. शास्त्री का शिष्य यजमान की पत्नी को लेकर भागा, पति ने पुलिस से मांगी मदद

मध्यप्रदेश के छतरपुर में रामकथा करने आए चित्रकूट के पंडित धीरेन्द्र आचार्य का शिष्य यजमान की पत्नी को प्रेमजाल में फसा कर ले भागा। मामला धीरेंद्र आचार्य के शिष्य का है। पीड़ित पति ने कोतवाली थाने में इस संबंध में शिकायत दर्ज करवाई. पुलिस ने गुमशुदगी का मामला दर्ज किया।

राहुल तिवारी ने गौरीशंकर मंदिर में रामकथा का आयोजन करवाया था।

बतादें कि एक महीने पूर्व जब शिकायतकर्ता की पत्नी मिल गई तो पुलिस ने महिला को बयान लेने थाने बुलाया. लेकिन वही महिला ने चौकाने वाली बात कहि उसने अपने पति के साथ रहने से इनकार करते हुए चित्रकूट धाम के पं. धीरेन्द्र आचार्य के शिष्य नरोत्तम दास दुबे के साथ रहने की इच्छा जताई। बतादें कि महिला के पति ने साल 2021 में राहुल तिवारी ने गौरीशंकर मंदिर में रामकथा का आयोजन करवाया था। वही चित्रकूट के कथावाचक धीरेंद्र आचार्य को कथा वाचन के लिए बुलाए गए थे. कथा वाचन के लिए आचार्य अपने शिष्य नरोत्तम दास दुबे के साथ रामकथा करने आए थे.

वही पति राहुल का आरोप है कि कथा वाचन के दौरान उसकी पत्नी को नरोत्तम दास दुबे बातचीत शुरू करके अपने प्रेमजाल में फंसा लिया था और फिर मोबाइल नंबर लेकर दोनों बातें करने लगे थे. वही पति ने शिकायत कि 5 अप्रैल को नरोत्तम उसकी पत्नी को भगाकर ले गया। इस मामले में जिले के एसपी अमित सांघी का कहना है कि विवाद की वजह से महिला अपने पति के साथ रहना नहीं चाहती वही पुलिस का कहना है कि कोई केस नहीं बनता है. फिर भी पुलिस जांच कर रही है।

80 हजार रुपए लेकर शास्त्री के शिष्य के साथ भाग गई।

मामले में महिला के पति के अनुसार उसकी शादी 2014 में हुई थी। पति पत्नी का आठ साल का एक लड़का है। पति का यह भी कहना है कि पत्नी घर से जूलरी और 80 हजार रुपए लेकर शास्त्री के शिष्य के साथ भाग गई। और उसी के साथ शादी भी कर ली है। वही पत्नी जो जूलरी लेकर गई है उसकी कीमत करीब दो-ढाई लाख रुपए है। पति का कहना है की वो उसकी पत्नी को रखना नहीं चाहता है , लेकिन कथावाचक को सजा मिले।