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विक्रम विश्वविद्यालय में अब बच्चे पढ़ेंगे जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य

विक्रम विश्वविद्यालय में अब बच्चे पढ़ेंगे जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य

उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में बदलेंगे मुहावरे

उज्जैन। देशभर में पिछले कुछ समय से शहरों, रेलवे स्टेशनों के नाम बदले जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पांडे ने भी विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा देने की पहल की है, जिसमें सबसे पहले कुछ मुहावरे बदले जाएंगे। उनका कहना है कि हमें विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा देना चाहिए जो कि उनके लिए प्रेरणादायी साबित हो न कि उन्हें इस बात का एहसास कराए कि वह गुलामी की मानसिकता में जकड़े हुए है |

उन्होंने बताया कि वैसे तो कार्यपरिषद की बैठक में इस बात पर निर्णय हो चुका है और हमने विक्रम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को भी यह आदेशित कर दिया है कि वे हमें ऐसे मुहावरों की जानकारी दें जिनके कुछ शब्द हटाने से ये मुहावरे हमें गौरवान्वित करें और पढ़ने-सुनने में भी ठीक लगें। पांडे ने बताया कि वर्तमान में हमने जो जीता वही सिकंदर मुहावरे को बदलकर जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य कर दिया है, जिसे जल्द ही विक्रम विश्वविद्यालय में जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य के रूप में ही पढ़ाया जाएगा।

बदले जाने वाले मुहावरों की कर रहे खोज

उन्होंने बताया इस मुहावरे के साथ ही मजबूरी का नाम महात्मा गांधी को भी बदला जाएगा, क्योंकि इन शब्दों का कोई मेल नहीं है कि मजबूरी का नाम महात्मा गांधी क्यों है, यह गलत शब्द है। इसके साथ ही कहां राजा भोज, कहां गंगू तेली जैसे मुहावरे भी बदलने की तैयारी है, क्योंकि राजा भोज का इतिहास काफी भव्य और दिव्य है, लेकिन उनकी तुलना गंगू तेली से करना गलत है। पूर्व में इस मुहावरे को कहां राजा भोज और कहां तेलंग कहा जाता था, लेकिन पता नहीं कैसे इसमें बदलाव हुआ और यह कहां राजा भोज, कहां गंगू तेली के नाम से प्रसिद्ध हो गया। विक्रम विश्वविद्यालय में डॉ. उमेश सिंह और डॉ. शैलेंद्र शर्मा ऐसे सभी मुहावरों की खोज कर रहे हैं जिन्हें बदला जा सके

प्रचारित भी किया जाएगा
इस पूरे मामले को लेकर अभी विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पांडे ने भले ही लिखित में कोई आदेश जारी न किया हो, लेकिन कार्यपरिषद की बैठक में दिए गए मौखिक निर्देश के बाद विक्रम विश्वविद्यालय में इस मुहावरे को बदलकर पढ़ाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हंै। जल्द ही विक्रम विश्वविद्यालय के कोर्स कंटेंट, तमाम फंक्शंस, सोशल मीडिया पर, कुलपति सम्मेलन, शिक्षाविदों की बैठक, युवा पंचायत आदि सभी स्थानों पर इसे प्रचारित किया जाएगा।

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