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इंदौर में नगर निगम वार्ड 17 में न खेलने की सुविधा, न पानी की व्यवस्था

इंदौर। वार्ड क्रमांक 17 में जैसे ही मृदुभाषी की टीम पहुंची तो छोटे-छोटे बच्चे घर से निकल आए और अपने लिए खेल मैदान का अभाव बताने लगे। बच्चों ने बताया कि हमारे क्षेत्र में न तो खेलने के लिए उचित व्यवस्था है ना ही पीने के पानी की। कई बच्चों ने बताया कि स्कूल की कई बार छुट्टी मनानी पड़ती है क्योंकि दूर से पानी लेकर आना पड़ता हैं। करीब 42 हजार की आबादी वाले वार्ड-17 को उपेक्षित वार्ड कहा जाए तो कोई संकोच करने वाली बात नहीं होगी। जनप्रतिनिधि हो या अधिकारी इस वार्ड के साथ अलग ही व्यवहार करते हैं।


यह क्षेत्र आते हैं
कुशवाह नगर, कुशवाह नगर जगदीश नगर तक, न्यू प्रिंस नगर, प्रिंस नगर, सुंदर नगर, ऋषि नगर, रोशन बाग, पुष्प नगर, अंजनी नगर, जगदीश नगर, जगन्नाथ नगर, न्यू राम नगर, राजाबाग, कमला केशर नगर, दशरथ बाग व आसपास की कई कालोनी।

गटर के रूप में बनी है पुरानी ड्रेनेज

वार्ड-17 में नर्मदा लाइन भले ही डल गई है लेकिन इंटर कनेक्शन बाकि हैं। दो-तीन कालोनियों में ड्रेनेज लाइन डल गई है। कुछ जगह बैकलेन में गटर के रुप में पुरानी ड्रेनेज बनी हैं। जगदीश नगर की पुलिया का निर्माण भी नहीं हुआ हैं। रहवासियों का कहना हैं यहां चार साल पहले नाले पर पुलिया बनाई गई, लेकिन रेलिंग नहीं लगाई जिस वजह से लोग नाले में गिर जाते हैं। वर्षा में जब पुलिया डूब जाती है तो हालात खतरनाक हो जाते हैं। वार्ड में पानी की आपूर्ति के लिए नगर निग ने एक भी ओव्हरहेड टैंक नहीं बनाया है। यहां महाराणा प्रताप नगर की पानी की टंकी से जलापूर्ति होती है।

ना तो सरकारी स्कूल है ना ही सरकारी अस्पताल

वार्ड में न तो सरकारी स्कूल है और ना ही सरकारी अस्पताल। अधिकांश लोग मजदूरी करते हैं। रहवासियों ने तय है कि इस बार चुनाव में वे ऐसे जनप्रतिनिधि का चयन करेंगे जो सहज उपलब्ध हो और समस्याओं को हल करने में सक्षम हो। रहवासी स्कूल, कॉलेज और अस्पताल जैसी बुनियादी जरुरतों के लिए दूसरों वार्डों पर निर्भर हैं। वार्ड-17 शहर का पश्चिम-उत्तर क्षेत्र हैं। वार्ड में अधिकांश गरीब और निम्न आय वर्ग के लोग रहते हैं। पूरे वार्ड में एक भी सरकारी स्कूल नहीं हैं। कुछ रहवासी क्षेत्र में पेयजल की नर्मदा लाइन डालने के बावजूद नगर निगम ने अब तक कनेक्शन नहीं दिए।

पानी निकासी का खास इंतजाम नहीं

वार्ड में अधिकांश क्षेत्र में वर्षा के समय पानी भर जाता है। पानी निकासी का खास इंतजाम नहीं हैं। कई जगह निगम ने ड्रेनेज लाइन का काम खराब तरीके से किया है। ड्रेनेज चोक होने पर नालियों का पानी घरों के बाथरुम से निकलने लगता है। कालोनियों और बस्तियों में नर्मदा लाइन डल चुकी है लेकिन पूरी तरह पानी नहीं मिल रहा। लोग सार्वजनिक और निजी नकलूपों पर निर्भर हैं।

नलकूपों पर नेताओं के करीबियों का कब्जा

जनप्रतिनिधि ने वार्ड के लिए कुछ काम नहीं किया। नगर निगम द्वारा या विधायक निधि से करवाए गए सार्वजनिक नलकूपों पर कुछ खास लोगों का कब्जा है। इस कारण वे अपने हिसाब से नलकूप चलाते हैं। इसकी चाबी भी उन्हीं के पास रहती हैं। रहवासियों के अनुसार जनता को पानी उपलब्ध करवाने के लिए सार्वजनिक नलकूप खोदे गए है लेकिन उन पर नेताओं के करीबियों का कब्जा है। पानी देने का कोई तय समय नहीं हैं। मनमर्जी से मोटर पंप चालू करते हैं।

सार्वजनिक परिवहन का अभाव

सार्वजनिक परिवहन के रुप में क्षेत्र के लिए कोई सिटी बस भी नहीं चलती है। इस कारण यहां के कामकाजी लोगों को शहर के अन्य हिस्सों व बाजार जाने में बहुत परेशानी आती है। कालोनी मेें सफाई व्यवस्था भी बदतर है। गलियों व बैकलेन से लेकर नालों तक की सफाई नहीं हो पा रही है।

सड़कों पसरी रहती है गंदगी

कुशवाह नगर में पूर्व पार्षद के घर के ठीक सामने व शिव मंदिर के मुख्य द्वार के सामने ही गंदगी पसरी रहती हैं। ड्रेनेज का गंदा पानी बदबू मारता है जिससे आसपास के रहवासी परेशान हैं। इतना ही नहीं राजाबाग में शहर की सफाई व्यवस्था की पोल खुलती नजर आती हैं। यहां नालियों व बैकलेन का कचरा निकालकर सड़क पर डाल दिया जाता हैं। कई जगह सड़के बनी नहीं और कई जगह सड़कें खोदकर पटक दी है। वार्ड की कालोनियोें की अधिकांश गलियों में स्ट्रीट लाइट नहीं होने के कारण रात में परेशानी होती है।

विकसित होती जा रही अवैध कालोनियां

वार्ड में अवैध कालोनियां विकसित होती जा रही है। इनमें कालोनाइजर बुनियादी सुविधाएं दिए बगैर गरीबों को प्लाट बेच रहे हैं। बाद में रहवासी परेशान होते हैं। निगम अधिकारी भी कालोनियों पर कोई कार्रर्वाई नहीं करते।

शिकायत के बाद भी नहीं होता निराकरण

शाम होते ही क्षेत्र में अंधेरा पसर जाता है। बार-बार रहवासी निगम को शिकायत करते हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं देते हैं। अधिकांश कालोनियों में स्ट्रीट लाइट नहीं है। कुछ गलियों में लोगों ने बैकलेन पर कब्जा कर रखा है। इसके चलते निगमकर्मियों को सफाई करने में बहुत परेशानी आती है। चैंबर के ढक्कन भी खुले हैं। इस वजह से गंदा पानी सड़क पर फैला रहता है। बैकलेन में गंदगी पसरी पड़ी रहती हैं। कई कालोनियों में सफाईकर्मी नियमित रूप से सफाई करने नहीं जाते। कई बार शिकायत दर्ज करने पर ही वे आते हैं। मुख्य मार्गों पर दुकानदारों ने अतिक्रमण किया हुआ है।
कई कालोनी में दो से तीन दिन तक कचरा ही नहीं उठता हैं। रामनगर, केशर कालोनी, दशरथ बाग में नर्मदा की पाइपलाइन डल चुकी है फिर भी रहवासियों को पानी नहीं मिल रहा है। कुछ जगह पानी आता है वह बहुत कम मात्रा में। नालियां गंदगी से भरी रहती है। ड्रेनेज सिस्टम नहीं है।

जनता की राय

शराब दुकान से सभी है परेशान
शराब की दुकान की वजह से खूब परेशानी होती हैं। युवतियों, महिलाओं सभी को परेशानी होती हैं। कई बार शिकायत की लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती। पुलिस, जनप्रतिनिधि को शिकायत की, लेकिन सभी देखकर चले जाते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करता।
राजकुमारी, रहवासी

आश्वासन देकर चलते जाते हैं जनप्रतिनिधि
चालीस साल से रह रहा हूं। नर्मदा लाइन नहीं डली हैं। जनप्रतिनिधि आते हैं सिर्फ आश्वासन देते हैं। काम कोई करने को तैयार नहीं हैं। पीने के पानी की समस्या अधिक हैं। बारीश के दिनों में सड़कों पर पानी भर जाता हैं। सिर्फ नाम के लिए गार्डन हैं, उसकी बाउंड्रीवाल बनी है बाकि कोई काम नहीं हुआ हैं।
भजनलाल पंवार, रहवासी

सफाई ही नहीं होती
बच्चों के न तो खेलने की जगह है ना ही मूलभूत सुविधाएं यहां के रहवासियों को दी जा रही हैं। सड़क किनारे विद्युत लाइनें खुली पड़ी हैं जो किसी भी दिन बड़ी अनहोनी कर सकती हैं। बेकलेन की सफाई नहीं होती, सफाई कर्मी तीन-तीन दिन तक नहीं आते।
सविता बाई, रहवासी

महिलाओं के लिए शुरु करेंगे टोल फ्री नंबर
क्षेत्र मेें शराब की दुकानों को सबसे पहले हटवाया जाएगा। यहां से निकलने वाली महिलाओं को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। इसके साथ ही हम टोल फ्री नंबर महिलाओं के लिए शुरु करेंगे जिससे कि किसी भी महिला को परेशानी आने पर हम तुरंत उसका निराकरण कर सकें। इसके साथ ही क्षेत्र में ड्रेनेज, पानी और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाएगा। सरकारी स्कूल, कॉलेज को लेकर प्रयास किए जाएंगे।
शिवम के.के. यादव, कांग्रेस पार्षद प्रत्याशी

यह है खास

-कई जगह हुआ सड़क का निर्माण
-कई जगह डल गई नर्मदा की पाइप लाइन

यह है समस्याएं
-बैकलेन गंदगी से पटी हुई
-न तो सरकारी स्कूल है और ना ही सरकारी अस्पताल
-सड़कों का गंदा पानी घुसता हैं घरों मेें
-कई कॉलोनी है अवैध
-खुले में जलाया जा रहा है कचरा
-खुले मेें बहता है नाला
-कई कालोनियों में ड्रेनेज लाइन नहीं
-पर्याप्त नहीं आता पेयजल

42 हजार वार्ड की जनसंख्या (लगभग)
30 हजार वार्ड के मतदाता (लगभग)

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